- राम रहीम 800 गाड़ियों के काफिले के साथ पंचकूला कोर्ट के लिए रवाना
- रास्ते में काफिले की 3 गाड़ियां आपस में टकराई
- डीजीपी संधू ने कहा कि हम लोग पूरी तरह से तैयार हैं
- आर्मी को अलर्ट पर रखा गया है
- जरूरत पड़ी तो आर्मी फ्लैग मार्च भी कर सकती है.
- सिरसा में हालात बिगड़ने की स्थिति को देखते हुए कर्फ्यू लगा
चंडीगढ़(एजेंसीज): डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम पर आज पंचकूला सीबीआई कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा. राम रहीम 800 गाड़ियों के काफिले के साथ पंचकूला कोर्ट के लिए रवाना हो गए. जब राम रहीम अपने आश्रम से निकल रहे थे, तभी उनके कई समर्थक उन्हें रोकने के लिए गाड़ियों के आगे लेट गए. हालांकि पुलिस ने उन्हें वहां से तुरंत हटा लिया, जिसके बाद कई समर्थकों के बेहोश होने की खबर है.
डीजीपी संधू ने कहा कि हम लोग पूरी तरह से तैयार हैं, आर्मी को अलर्ट पर रखा गया है. अगर जरूरत पड़ी तो आर्मी फ्लैग मार्च भी कर सकती है. इस बीच रास्ते में उनके काफिले की 3 गाड़ियां आपस में टकराई गईं, हालांकि इस हादसे में किसी के भी घायल होने की खबर नहीं है. हरियाणा के सिरसा में गुरुवार रात से हालात बिगड़ने की स्थिति को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया है. फैसले को लेकर पंचकूला में हजारों की संख्या में राम रहीम समर्थक मौजूद हैं. फैसला आने के बीच राम रहीम ने एक वीडियो जारी किया. वीडियो में उन्होंने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की है. इसके साथ ही बाबा ने समर्थकों से पंचकूला न जाने की भी अपील की है.
पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 72 घंटों के लिए इंटरनेट संबंधी सेवाएं सस्पेंड कर दी गईं हैं. पंचकूला में हालात को देखते हुए रोडवेज ने कई रूट्स की बसें बंद कर दीं हैं. रेलवे ने भी हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और राजस्थान जाने वाली करीब 72 ट्रेनों को रद्द कर दिया है.
इस मामले में डेरा समर्थकों की धमकी के बाद हाईकोर्ट ने एक पिटीशन पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को लताड़ लगाई. इस दौरान कोर्ट ने राम रहीम के वकील से कहा, ‘डेरा समर्थकों को पंचकूला से वापसी के लिए कहा जाए.’ पुलिस और सिक्योरिटी फोर्स ने डेरा समर्थकों को खदेड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. डेरा समर्थकों को हर हाल में पंचकूला छोड़ने के लिए कहा जा रहा है.
बताते चलें कि डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की थी. शाह सतनाम महाराज इसके प्रमुख बने और उन्होंने 1990 में संत गुरमीत सिंह को गद्दी सौंप दी. संत गुरमीत श्रीगंगानगर (राजस्थान) के गांव गुरुसरमोडिया के रहने वाले हैं.
पढ़ें इस बवाल की असली वजह क्या है ?
- अप्रैल 2002- राम रहीम की अनुयायी एक साध्वी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक शिकायत भेजी थी. साध्वी ने शिकायत में राम रहीम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था.
- मई 2002- शिकायती पत्र को तस्दीक करने की जांच का जिम्मा सिरसा के सेशन जज को सौंपा गया.
- दिसंबर 2002- शिकायत सही पाए जाने के बाद राम रहीम के खिलाफ धारा 376, 506 और 509 के तहत केस दर्ज किया गया था.
- दिसंबर 2003- इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई. जांच अधिकारी सतीश डागर ने केस की जांच शुरू की और साल 2005-2006 में उस साध्वी को ढूंढ निकाला, जिसका यौन शोषण हुआ था.
- जुलाई 2007- सीबीआई ने केस की जांच पूरी कर अंबाला सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. अंबाला से केस की सुनवाई पंचकूला शिफ्ट कर दी गई. चार्जशीट के मुताबिक, डेरे में 1999 और 2001 में कुछ और साध्वियों का भी यौन शोषण हुआ, लेकिन वे मिल नहीं सकीं.
- अगस्त 2008- केस का ट्रायल शुरू हुआ और डेरा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ आरोप तय किए गए.
- साल 2011 से 2016- केस का ट्रायल चला. डेरा प्रमुख राम रहीम की ओर से वकील लगातार जिरह करते नजर आए.
- जुलाई 2016- केस की सुनवाई के दौरान 52 गवाह पेश किए गए, इनमें 15 प्रॉसिक्यूशन और 37 डिफेंस के थे.
- जून 2017- कोर्ट ने डेरा प्रमुख के विदेश जाने पर रोक लगा दी.
- 25 जुलाई 2017- सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में हर रोज सुनवाई करने के निर्देश दिए ताकि जल्द फैसला सुनाया जा सके.
- 17 अगस्त 2017- दोनों पक्षों की ओर से चल रही जिरह खत्म हुई और फैसले के लिए 25 अगस्त की तारीख तय की गई