राष्ट्र सेविका समिति की पुकार : चीनी उत्पादों का करें बहिष्कार

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  • चीन शक्तिशाली है, पूरी दुनिया में उसका दबदबा है
  • ड्रैगन सभी को दबाने का प्रयास कर रहा है
  • भारत के हर फैसले का विरोध करता है
  • चीन में अपने उद्योगों पर सब्सिडी देनी शुरू कर दी
  • ताकि दुनियाभर में अपना माल सस्ता बेचकर पूरी दुनिया के बाजार पर कब्जा कर सकें.
  • हमारे देश में चीन से 200 बिलियन डॉलर का सामान बिना बिल के भी आ रहा है जो भारत पर आर्थिक आक्रमण जैसा है. 

”पिछली दिवाली को स्वदेशी जागरण मंच की ओर से आए आग्रह के कारण ही चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया गया है और चीन की सेल 40 से 50% कम हुई है. इस बहिष्कार में 9700000 लोगों ने संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं तथा 2.5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर का संकल्प है ताकि चीनी बाजार की कमर तोड़ी जा सके. चीन इस समय आर्थिक संकट झेल रहा है.” 

नई दिल्ली (vsk indrprasth) 26 अगस्त:  राष्ट्र सेविका समिति मेधाविनी सिंधु सृजन (प्रबुद्ध वर्ग) ने “ स्वदेशी अपनाएं – चीनी उत्पादों का बहिष्कार करें ” विषय पर किरोड़ीमल कॉलेज के सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें मुख्य वक्ता डॉक्टर अश्विनी महाजन अखिल भारतीय सह संयोजक स्वदेशी जागरण मंच तथा अन्य वक्ता श्री राजकुमार भाटिया, पूर्व अध्यक्ष, नेशनल टीचर डेमोक्रेटिक फ्रंट, अध्यक्षा श्रीमती किरण चोपड़ा, निदेशिका पंजाब केसरी समूह, श्रीमती सुनीता भाटिया प्रांत कार्यवाहिका,  राष्ट्र सेविका समिति थे.

श्री अश्विनी महाजन ने कहा कि चीन शक्तिशाली है, पूरी दुनिया में उसका दबदबा है और ड्रैगन सभी को दबाने का प्रयास कर रहा है. लेकिन अगर भारत से उसका व्यापार लगातार बढ़ रहा है ऐसी स्थिति में चीन युद्ध के बारे में सोचेगा भी नहीं. इसी कारण हमारे रक्षा एवं  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चीन का कड़े शब्दों में विरोध किया है और कहा  है कि भारत अब 1962 का भारत नहीं है.  चीन भारत के हर फैसले का विरोध करता है चाहे मसूद अजहर की बात हो या एनएसजी. चीन की एक नीति है बात-बात पर पिन लगाना ताकि कोई भी मुद्दा चलता रहे. इतिहास गवाह है कि चीन ने 1962 को छोड़कर पूरी दुनिया में कोई भी युद्ध नहीं जीता है.

पिछली दिवाली को स्वदेशी जागरण मंच की ओर से आए आग्रह के कारण ही चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया गया है और चीन की सेल 40 से 50% कम हुई है. इस बहिष्कार में 9700000 लोगों ने संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं तथा 2.5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर का संकल्प है ताकि चीनी बाजार की कमर तोड़ी जा सके. चीन इस समय आर्थिक संकट झेल रहा है.  मुक्त व्यापार फ्री ट्रेड पर अमेरिका यूरोप जापान ने हस्ताक्षर किए लेकिन चीन इन सबसे बाहर रहा. बाद में चीन डब्ल्यूटीओ के माध्यम से पूरी दुनिया के बाजार पर कब्जा पाना चाहता है , इसी कारण उसने चीन में अपने उद्योगों पर सब्सिडी देनी शुरू कर दी ताकि इस माल को दुनियाभर में सस्ता बेचकर पूरी दुनिया के बाजार पर कब्जा कर सकें. सामान्य आयात के अलावा हमारे देश में 200 बिलियन डॉलर का सामान बिना बिल के भी आ रहा है जो भारत पर आर्थिक आक्रमण जैसा है.  इन की सस्ती लेबर के कारण भारत का व्यापार ठप हो रहा है और भारत की जनता को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए. इसी नुकसान से बचने के लिए भारत ने चीन के 133 उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी भी लगाई है.

श्री राजकुमार भाटिया ने कहा कि भारत को क्लोज्डइकोनॉमी बनना चाहिए ताकि देश के उद्योग-धंधों को हम जिंदा रख सकें. चाहे स्वदेशी उत्पाद कुछ महंगे हों लेकिन तब भी विदेशी उत्पादों का मोह  छोड़कर हम स्वदेशी अपनाएं. यह विषय राष्ट्रहित से जुड़ा है. हर छोटे उत्पाद को खरीद कर भी हम देशभक्ति निभा सकते हैं .

कार्यक्रम की अध्यक्षा किरण चोपड़ा ने कहा कि महिलाओं के बिना कोई भी मिशन पूरा नहीं हो सकता है. यंग इंडिया की पहचान नारी है. महिला शक्ति का प्रतीक है.  रक्षाबंधन के समय भी महिलाओं ने ही भाइयों को मौली का धागा बांधकर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया है. मेधाविनी मंडल की प्रबुद्ध बहने यदि कॉलेज के छात्रों को तर्क सहित चीनी उत्पादों के बहिष्कार की बात समझाएंगी तो हम चीन को आर्थिक रुप से कमजोर तथा भारत को सबल बना सकते हैं.

प्रांत कार्यवाहिका श्रीमती सुनीता भाटिया ने राष्ट्र सेविका समिति के विषय में कई जानकारियां दीं. राष्ट्र सेविका समिति एक 80 साल पुरानी संस्था है जिसे लक्ष्मीबाई केलकर ने 1936 में नागपुर में स्थापित किया था. समिति स्त्री-पुरुष की समानता तथा महिलाओं के शारीरिक बौद्धिक मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास और उनके परिवार समाज राष्ट्र के उत्थान के लिए अधिकतम योगदान की दिशा में काम करती है. समिति का मानना है कि महिलाएं मार्गदर्शक हैं तथा जीवन को दिशा देती हैं. समिति देशभर में अनेक सेवा कार्य चलाती है और इस समय ऐसे 52 प्रकल्प कार्यरत हैं.

डॉक्टर निशा राणा ने मंच संचालन किया तथा लगभग 100 कॉलेज लेक्चरर व महिला वकीलों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

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