सुप्रीम कोर्ट और कैग के बाद राहुल गांधी के पास राफेल पर कौन सा रहस्य है? बताएं तो समझ में आए!

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  • कैग कह रहा है कि इसमें भारत ने 17.08 प्रतिशत धन बचाया है तथा सौदा 2.86 प्रतिशत सस्ता है,
  • तो फिर इसे स्वीकारने में कोई समस्या क्यों? आखिर,
  • देश को सच चाहिए या जबरन आरोप?
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में विवाद के तीनों बिंदुओं मूल्य, ऑॅफसेट एवं प्रक्रिया पर सकारात्मक मत दिया था।
  • कहा था कि ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं दिखती।

नई दिल्ली : कायदे से अब राफेल विमान सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट के बाद जारी विवाद बंद हो जाना चाहिए। किंतु भारत की राजनीति ऐसी है, जहां विवादों और आरोपों के पीछे ठोस तथ्यों और नैतिक आधारों की आवश्यकता ही नहीं होती। कैग ने यूपीए सरकार के सौदा बातचीत दस्तावेज तथा मोदी सरकार के सौदे का तुलनात्मक अध्ययन कर साफ किया है कि पहले की तुलना में यह हर दृष्टि से भारत के अनुकूल और सस्ता है।

कैग कह रहा है कि इसमें भारत ने 17.08 प्रतिशत धन बचाया है तथा सौदा 2.86 प्रतिशत सस्ता है, तो फिर इसे स्वीकारने में कोई समस्या क्यों? उसने यह भी कहा है कि पहले की तुलना में शुरुआती 18 विमान हमको पहले मिल जाएंगे। किंतु कांग्रेस ने जिस तरह एक संवैधानिक संस्था पर प्रश्न उठाया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। कैग पर बैठा व्यक्ति पूर्व में किस पद पर था, उससे जोड़कर उसकी निष्पक्षता एवं ईमानदारी पर प्रश्न उठाना ऐसी आत्मघाती नीति है जो पता नहीं हमें पतन की किस सीमा तक ले जाएगी।

आखिर, देश को सच चाहिए या जबरन आरोप? सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में विवाद के तीनों बिंदुओं मूल्य, ऑॅफसेट एवं प्रक्रिया पर सकारात्मक मत दिया था। कहा था कि ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं दिखती, जिसके आधार पर राफेल सौदे की जांच की अनुमति दी जाए। अदालती फैसले के बाद लगा था कि शायद कांग्रेस अपनी रणनीति में सुधार करेगी। किंतु उसने कह दिया कि उच्चतम न्यायालय नहीं, संयुक्त संसदीय समिति जांच की उपयुक्त जगह है।

अब कैग रिपोर्ट के बाद भी इनका स्वर ऐसा ही है। राजनीति के नाम कोई कुछ भी आरोप लगाए, देश को समझ आ गया है कि राफेल विमानों का सौदा हर दृष्टि से भारत के अनुकूल है। वैसे भी दो सरकारों के बीच के सौदे में किसी तरह की दलाली की संभावना पैदा ही नहीं होती। कोई सरकार जानबूझकर किसी कंपनी को ज्यादा मूल्य क्यों देगी? सौदा को पूर्णता तक पहुंचाने की भूमिका वार्ता दल की होती है, जिसके पूर्व प्रमुख का भी बयान आ गया है।

कैग की रिपोर्ट उन सारे बयानों की पुष्टि करती है, जो सौदे को भारत के हित में और एकदम सही करार दे रहे थे। लोगों के अंदर संदेह पैदा करके कुछ दल राजनीतिक लाभ पाने की रणनीति से पीछे नहीं हट रहे तो उनको इसकी क्षति भी हो सकती है। लोग यह भी सोचेंगे कि जिस सौदे के सर्वोच्च न्यायालय और कैग, दोनों सही करार दे चुका है उसे गलत कैसे माना जाए। 

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