- हमले के स्थान पर पाकिस्तानी सेना सबसे पहले पहुंची थी
- एंबुलेंस के मेडिकल स्टाफ से मोबाइल भी ले लिए थे
- पुलिस को भी हमले की जगह जाने की अनुमति नहीं दी गई
रोम. भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के बेसकैंप पर हमला किया था। चश्मदीदों के मुताबिक, इस हमले में दर्जनभर आतंकियों समेत पूर्व आईएसआई एजेंट भी मारे गए। यह हमला पुलवामा हमले की जवाबी कार्रवाई के तौर पर किया गया था। इस आतंकी हमले में 40 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। रोम के एक पत्रकार ने स्थानीय लोगों से बात करने के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया है।
चश्मदीद ने बताया, ‘बमबारी के तुंरत बाद ही स्थानीय प्रशासन के लोग पहुंच गए थे। मगर इससे पहले सेना ने इस जगह को अपने कब्जे में ले लिया था। पुलिस को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। एंबुलेंस के मेडिकल स्टाफ से मोबाइल भी ले लिए गए थे।’
पूर्व अधिकारी समेत आतंकी भी मारे गए
सूत्र के मुताबिक, इस हमले में कर्नल सलीम मारा गया, जबकि कर्नल जरार जकरी घायल हुआ। दोनों ही पूर्व आईएसआई अधिकारी रहे हैं। यही हाल जैश-ए-मोहम्मद के मुफ्ती मोइन और उस्मान गनी का हुआ। मोइन आतंकियों को प्रशिक्षण देता था जबकि गनी विस्फोट विशेषज्ञ था। इस हमले में दोनों आतंकी भी मारे गए।
दो तरह की बातें आईं सामने
हालांकि चश्मदीदों की बातचीत में दो तरह की बातें सामने आईं। कुछ का कहना था कि जैश-ए-मोहम्मद के 12 आतंकी लकड़ी से बने मकान में ट्रेनिंग ले रहे थे। सभी इस हवाई हमले में मारे गए। जबकि कुछ का कहना था कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। कुछ आमजन जरूर घायल हुए।
इंडियन इंटेलिजेंस, टारगेट्स पर हुई बमबारी
इंडियन इंटेलिजेंस के सीनियर अधिकारी के मुताबिक, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि टारगेट्स पर बमबारी हुई है। मगर मीडिया में बताए गए कुछ नंबर्स अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। मुझे लगता है कि हमले का जो उद्देश्य था, वो केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें मौत के घाट उतारना था। ऐसा करने में हम सफल रहे।’