स्वामी असीमानंद को 9 वर्ष की लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद पंचकुला की विशेष एनआईए अदालत ने हाल ही में समझौता धमाके के आरोप से बरी कर दिया. अब वह सभी आरोपों से मुक्त हो चुके हैं. लेकिन 2010 के बाद उनका जो कठिन समय जेल में गुजरा, अमानवीय यातनाओं को सहना पड़ा, अब उस साजिश की परतें खुल रही हैं. साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य ने आरोप मुक्त होने के बाद स्वामी असीमानंद से विशेष बातचीत की और जाना कि कैसे संप्रग सरकार के दौरान ‘भगवा आतंक’ जैसे जुमले गढ़कर हिन्दू समाज को आहत और अपमानित करने की साजिशें रची गई थीं. उनसे बातचीत के प्रमुख अंश –
मक्का मस्जिद सहित समझौता धमाके के आरोप में आप को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब सच सामने आ चुका है और न्यायालय ने आपको बरी कर दिया है. निर्दोष साबित होने के बाद क्या कहेंगे आप?
आखिर में सत्य की जय हुई है. इसलिए ही तो भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ है. इस फैसले के बाद मैं खुशी महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मुझे जिन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ना से लेकर अमानवीय यातनाएं तक दी गर्इं, अब उससे मुक्त होने के बाद शांति महसूस कर रहा हूं. दूसरी बात, यह हिन्दू विरोधियों की हार है. यह उनकी हार है, जिन्होंने ‘भगवा आतंक’ जैसे शब्दों को गढ़कर समस्त हिन्दू समाज को देश-दुनिया में अपमानित करने की साजिश रची. यह उनकी हार है जिन्होंने ‘भगवा’ की पवित्रता पर लांछन लगाने का दुष्कृत्य किया. खैर, देर से ही सही, आज सच सबके सामने आ चुका है और जो इसके पीछे के साजिशकर्ता थे, उनके चेहरों से भी नकाब उतर रहा है.
आपको गिरफ्तार क्यों किया गया था? इसके पीछे प्रमुख कारण क्या मानते हैं?
मैं हिन्दुत्व और हिन्दू समाज के लिए काम कर रहा था, इसलिए मुझे प्रताड़ित किया गया और एक साजिश के तहत गिरफ्तार किया गया. लेकिन मुझे गिरफ्तार करने के पीछे असल निशाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी थी. मेरे जरिए हिन्दू विरोधी तत्व इन संगठनों को लक्षित कर बदनाम करने की साजिश में लगे हुए थे, लेकिन वे अपने मंसूबे में सफल नहीं हुए.
कथित ‘भगवा आतंक’ के जुमले को सिद्ध करने के लिए आपको असहनीय प्रताड़नाएं दी गईं. इसमें कितनी सचाई है?
बिल्कुल, यह बात सच है. मैं इसे याद करके इस बारे में ज्यादा नहीं बोलना चाहता, लेकिन इतना जरूर कहना चाहता हूं कि मुझ पर असहनीय अत्याचार तो किए ही गए, अमानवीय यातनाएं तक दी गर्इं. लेकिन मैं टूटा नहीं, अडिग रहा.
इस पूरे मामले में तत्कालीन केंद्र सरकार, स्थानीय पुलिस, एटीएस, एनआईए एवं अन्य जांच एजेंसियों की भूमिका पर क्या कहेंगे?
देखिए, तत्कालीन सरकार के इशारे पर मुझे फंसाने की पूरी साजिश चल रही थी और इसमें सभी जांच एजेंसियां शामिल थीं. इसलिए सरकार जो साबित कराना चाहती थी, एजेंसियां मामले को उसी ओर मोड़ रही थीं. अगर यूं कहें कि एजेंसियां सरकार की कठपुलती बनकर कार्य कर रही थीं तो गलत नहीं होगा. इस दौरान मेरे ऊपर अनेक तरीके से अनैतिक दबाव डालकर एजेंसियां जो चाहती थीं, वह करा रही थीं.
क्या आपने जेल से ‘कारवां पत्रिका’ को साक्षात्कार दिया था?
नहीं, मैंने किसी भी पत्रिका को कोई साक्षात्कार नहीं दिया था. यह पूरी तरह से झूठ है. यह पत्रिका यदि दावा करती है कि इस औपचारिक साक्षात्कार के टेप हैं तो उन्हें सामने लाना चाहिए. दूसरी बात पत्रिका की संवाददाता ने घंटों मिलने की बात कही. इसमें एक बात सही हो सकती है कि यह संवाददाता एक तय समय पर जेल में आई हो और तय समय पर जेल से बाहर गई हो, लेकिन मुझसे घंटों बात की हो, यह बिल्कुल सही नहीं है. एक बार यह ‘संवाददाता’ छद्म अधिवक्ता के तौर पर मेरे अधिवक्ता के नाम का सहारा लेकर मुझसे मिली, लेकिन उनसे ऐसी कोई बात नहीं हुई, जिसे साक्षात्कार में लिखा गया. मैं अपने अधिवक्ता से परामर्श भी कर रहा हूं कि इस दिशा में क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
देश में लोकसभा चुनाव जोरों पर हैं. इस मौके पर लोगों से क्या कहना चाहेंगे?
यह चुनाव हिन्दू विरोधियों, देशद्रोहियों, अराजक ताकतों को परास्त करने का सुनहरा अवसर है. इसलिए पूरी ताकत से हिन्दू समाज को हिन्दू शक्तियों को विजय दिलानी होगी. इसलिए मेरा भारतीय समाज से आग्रह है कि वे नरेंद्र मोदी सरकार को प्रबल मतों से विजयी बनाएं.