दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीश अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली दो जजो की बेंच ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के खिलाफ दायर बहुत सारी पुनर्विचार याचिकाओं को लेकर आज अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। इस पीठ में न्यायाधीश उदय उमेश ललित भी शामिल थे। यह याचिका अदालत द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जाति (उत्पीड़न) संशोधन कानून, 2018 को कमजोर करने के खिलाफ दायर की गई हैं।
इस मामले पर इससे पहले 27 मार्च को भी सुनवाई हुई थी। न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीते मंगलवार को कहा था कि इस मामले की अंतिम सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। गत 20 मार्च को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के हो रहे दुरूपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के तहत मिलने वाली शिकायत पर स्वतरू एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा था कि एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामले के आरोपियों के लिए भी अग्रिम जमानत का प्रावधान होना चाहिए। लेकिन बाद में सरकार ने कानून में संशोधन कर लगभग पहले जैसे स्थिति बहाल कर दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई। वहीं 20 मार्च के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार समेत अन्य ने पुनर्विचार याचिकाएं भी दायर की हैं।