दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने में अभी सिर्फ 2 शेष हैं। हालांकि इससे पहले ही मध्यप्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि है राज्य सरकार अल्पमत में है। इसके साथ ही भाजपा ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी की है।
मध्यप्रदेश में भाजपा और विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम एक अनुरोध पत्र राजभवन भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस चिट्ठी में राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई है। पत्र में कहा गया कि प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अल्पमत में है। ऐसे में विशेष बुलाकर सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा जाए।
बता दें, इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के लोकसभा चुनाव को लेकर किए गए उनके दावे पर पलटवार किया था। मीडिया के सवाल पर विजयवर्गीय ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद वे 20 से 22 दिन मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, इस पर ही प्रश्न चिन्ह है।
उन्होंने ये भी कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार बनने के 10 दिन बाद कर्ज माफ नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री बदल देंगे। राहुल तो ऐसा नहीं कर पाए लेकिन कांग्रेस विधायक ऐसा कर देंगे, क्योंकि लोगों ने विधायकों को गांवों में घुसने नहीं दिया।
विजयवर्गीय ने आगे कहा- इंदौर में कभी भी कांटे का मुकाबला नहीं रहा। हम पिछली बार से ज्यादा वोटों से ये सीट जीतेंगे। प्रदेश में भाजपा की पिछले चुनाव में जितनी सीटें थी, उससे एक या दो सीट और बढ़ेंगी।
कैलाश के इस बयान पर कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि कमलनाथ तो पूरे पांच साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहेंगे। विजयवर्गीय अपनी चिंता जरूर करें, क्योंकि आगामी 23 मई के परिणाम के बाद उनका पश्चिम बंगाल के प्रभारी का पद जरूर खतरे में आ जाएगा।
बता दें कि सीएम कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में 20 से 22 सीटें जीतने का दावा किया था जिसके बाद कैलाश विजयवर्गीय ने उनपर पलटवार किया है।
मालूम हो कि मध्यप्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस का 114 सीटों पर कब्जा है, जबकि भाजपा ने 109 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दो सीटों पर बसपा, जबकि पांच सीटों पर अन्य का कब्जा है। कांग्रेस यहां 116 के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई थी, जिसके बाद भाजपा के विरोध में बसपा ने समर्थन दिया और कांग्रेस की सरकार बन पाई।