कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने के प्रस्ताव का कांग्रेस ने किया विरोध

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दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर बात की। उन्होंने घाटी में राष्ट्रपति शासन को छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल शासन के दौरान आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई। कई सालों से राज्य में पंचायत चुनाव नहीं हुए थे। एक साल के अंदर चुनाव कराए गए। उन्होंने सदन में जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक पेश किया। जिसके अंतर्गत अब आरक्षण का लाभ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को भी मिलेगा। पहले केवल नियंत्रण रेखा के नजदीक रहने वाले लोग इसका फायदा उठाते थे।

-015 में भाजपा-पीडीपी का गठबंधन पूरी तरह से दो अलग-अलग विचारधाराओं का गठबंधन था जिसके बाद कश्मीर की परिस्थतियां और ज्यादा बिगड़ गईं। आप आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाइए हम उसका समर्थन करेंगे। मैं खुद आतंकवाद का पीड़ित रहा हूं। मेरे पिता को आतंकवादियों ने शहीद कर दिया था। हम जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने का विरेध करते हैं।

-कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बार-बार राष्ट्रपति शासन बढ़ाने की जड़ें 2015 में हुए भाजपा-पीडीपी गठबंधन के साथ जुड़ी हुई हैं।

-आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव में होने वाली देरी अस्वीकार्य है। सरकार ने कहा कि सुरक्षा कारणों की वजह से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं कराए गए। मैं पूछना चाहता हूं कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए सुरक्षा उपलब्ध थी तो विधानसभा चुनाव के लिए क्यों नहीं है?

-कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने वाले प्रस्ताव का विरोध किया।

-यह विधेयक किसी को खुश करने के लिए नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए है। इससे जम्मू, कठुआ, सांबा के सीमावर्ती इलाकों को लाभ मिलेगा।

-अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को इस आरक्षण से फायदा मिलेगा। पहले केवल नियंत्रण रेखा के वासियों को आरक्षण मिलता था।

-अमित शाह ने दूसरा प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर में आरक्षण प्रश्ताव में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया।

-इस साल के अंत में जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे।

-हम जम्मू-कश्मीर की स्थिति का निरीक्षण कर रहे हैं। पिछले गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी के द्वारा तय समयसीमा के अंदर बंकरों का निर्माण किया जा चुका है। हमारे लिए सभी व्यक्तियों की जान महत्वपूर्ण है।

-जम्मू-कश्मीर में बिना हिंसा के चुनाव हुए। पहले जम्मू लद्दाख के साथ भेदभाव होता था।

-सरकार ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक साल के अंदर वहां पंचायत चुनाव कराए गए। 40 हजार पंच और सरपंच बने हैं। हम 3 हजार करोड़ रुपए पंचायतों को देने के लिए तैयार हैं।

-जम्मू-कश्मीर में अभी विधानसभा अस्तित्व में नहीं है, इसलिए चुनाव होने तक वहां राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए।

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