दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव परिणाम की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद उन्होंने इस बात पर पीड़ा भी जाहिर की थी कि पार्टी में वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग अपनी जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं और पद नहीं छोड़ना चाहते। उनके इस बयान के बाद पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इस्तीफा भी दे दिया। लेकिन लगता है कि उनकी इस अपील का असर दिल्ली के कांग्रेस नेताओं पर नहीं पड़ रहा है।
कई ऐसे नेता हैं जो बूथ-मंडल स्तर से लेकर जिला स्तर तक के पदों पर लंबे समय से बने हुए हैं, लेकिन अपने ब्लॉक-जिले में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद भी वे पद नहीं छोड़ना चाहते। प्रदेश संगठन में बदलाव की चर्चा के बाद ये नेता अभी से शीर्ष नेताओं से अपने संबंध का हवाला देकर अपने पदों पर बने रहने के लिए सक्रिय हो गए हैं।
दिल्ली प्रदेश के एक शीर्ष नेता के मुताबिक कई बूथ, मंडल और जिला स्तर के कार्यकर्ता लंबे समय से अपने पदों पर बने हुए हैं। ऐसे भी लोग हैं जो शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते हुए अपने पदों पर चुने गए थे। इस बीच लगातार पार्टी में अरविंदर सिंह लवली और अजय माकन जैसे अध्यक्ष भी बदल गए, लेकिन इन कार्यकर्ताओं ने अब तक अपना पद नहीं छोड़ा।
लेकिन, शीला दीक्षित इस बार काफी कड़ा रुख अख्तियार करने के मूड में हैं और उन्होंने ऐसे सभी नेताओं को रुख्सत करने का फैसला ले लिया है। केवल उन्हीं नेताओं को दुबारा मौका मिलने की संभावना है जिनके इलाकों में पार्टी ने कुछ बेहतर प्रदर्शन किया है।
शीला ने बनाया बदलाव का मन
अनुभवी कांग्रेस नेता शीला दीक्षित विधानसभा चुनाव में पार्टी के सामने कड़ी चुनौती को महसूस कर रही हैं। उन्हें मालूम है कि नरेंद्र मोदी ब्रांड को लेकर आगे बढ़ती भाजपा और आम आदमी पार्टी को रोकने के लिए कांग्रेस को नई संजीवनी की जरुरत है। यही कारण है कि उन्होंने अध्यक्ष पद संभालते ही पार्टी में बड़े बदलाव का फैसला कर लिया है।
वे पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्त्व देना चाहती हैं। पहले बूथ, मंडल और जिला स्तर पर तीन-तीन सदस्यों की एक कमेंटी बनाई गई थी जो विधानसभा चुनाव के लिए अपने इलाकों से सबसे उपयुक्त उम्मीदवारों के नाम भेजने वाली थीं। लोकसभा चुनाव के बाद हार की समीक्षा करने वाली पांच सदस्यीय कमेटी के सुझाव पर इस प्रस्ताव को भंग कर दिया गया था। लेकिन अब सभी स्तरों पर पदाधिकारियों की नियुक्ति के बाद वही प्रक्रिया दुबारा शुरु की जाएगी।
शुक्रवार को शीला दीक्षित ने (पार्टी के आधार पर) सभी 14 जिलों और 280 ब्लाक कमेटियों के लिए नए ऑब्जर्वर नियुक्त कर दिये हैं। ये ऑब्जर्वर अपने क्षेत्र के कांग्रेस के पूर्व सांसदों-विधायकों, पूर्व और मौजूदा पार्षदों और सामान्य लोगों से बातचीत कर संगठन का पद संभालने के लिए उपयुक्त नाम का सुझाव दस दिन के अंदर प्रदेश इकाई को भेजेंगे।
इसके बाद पार्टी नेताओं से चर्चा के बाद नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। पार्टी के नेता के मुताबिक अब काम को ईनाम देने की रणनीति अपनाई जाएगी जिससे दिल्ली में वापसी के लिए पार्टी मजबूत दावेदारी पेश कर सके।