दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जवाब पर प्रत्युत्तर देने के लिए बुधवार को चार सप्ताह का समय दे दिया। वाड्रा ने दरअसल धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के कुछ चुनिंदा प्रावधानों के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर ईडी ने अपना पक्ष रखा था।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तारीख तय की है। वाड्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने ईडी के जवाब पर प्रत्युत्तर दायर करने के लिए थोड़ा समय मांगा और कहा कि दस्तावेज लगभग तैयार हैं।
अधिवक्ता ने कहा कि ईडी ने दावा किया है कि वाड्रा ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में ठोस तथ्यों का छिपाया। हालांकि किसी तथ्य को नहीं छिपाया गया।
तुलसी ने कहा, उन्होंने ईसीआईआर (प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट) की प्रति नहीं दी और फिर वे कह रहे हैं कि मैंने तथ्यों को छिपाया।
उन्होंने मुझे अदालत के आदेश के बाद ही ईसीआईआर रिपोर्ट दी। मैंने उन सभी तथ्यों को उजागर किया है, जिनकी मुझे जानकारी थी। वाड्रा के करीबी सहयोगी मनोज अरोड़ा ने भी अपने खिलाफ दर्ज धनशोधन का मामला खारिज करने की मांग की है।
रॉबर्ट वाड्रा पर लंदन के 12, ब्रायनस्टन स्क्वायर में 19 लाख पाउंड की संपत्ति खरीदने के मामले में धनशोधन का आरोप है। पीएमएलए के प्रावधानों के तहत मामले की जांच की जा रही है। अरोड़ा वाड्रा के ‘स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी’ का कर्मचारी और मामले में सह-आरोपी है।