दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में गुरुवार को 10वें दिन सुनवाई कर रही है। इस दौरान मूल याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने विवादित स्थल में पूजा करने का उसका अधिकार लागू किए जाने का अनुरोध किया।
मूल याचिकाकर्ताओं में शामिल गोपाल सिंह विशारद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने मालिकाना हक मामले की सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष दलीलें आरंभ कीं। कुमार ने पीठ से कहा, ‘मैं परासरण और वैद्यनाथन के अभ्यावेदनों के संदर्भ में अपना अभ्यावेदन दे रहा हूं कि यह जन्मस्थल अपने आप में एक दैवीय स्थल है और उपासक होने के नाते पूजा करना मेरा नागरिक अधिकार है जो छीना नहीं जाना चाहिए।’
दशकों पुराने विवाद के पक्षों में से एक पक्ष रामलला विराजमान की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों के परासरण और सी एस वैद्यनाथन ने पीठ से इससे पहले कहा था कि अयोध्या में भगवान राम का जन्मस्थल अपने आप में एक दैवीय स्थल है और कोई भी महज मस्जिद जैसा ढांचा खड़ा कर इस पवित्र स्थल पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता।
वैद्यनाथन ने पीठ से कहा कि न तो निर्मोही अखाड़ा और न ही मुस्लिम पक्ष प्रतिकूल कब्जा के कानूनी सिद्धांत के तहत अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर स्वामित्व अधिकार का दावा कर सकते हैं।
विशारद ने विवादित स्थल पर पूजा-अर्चना के अपने अधिकार को लागू करने की मांग करते हुए 1950 में मुकदमा दायर किया था।