राज ठाकरे से पूछताछः किंगफिशर और पीएनबी स्कैम से बड़ा है आईएलएंडएफएस घोटाला

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दिल्ली। हमारे देश में निजी भ्रष्टाचार एक ऐसा रोग है जिसकी चपेट में सरकारी प्रतिष्ठान तो हैं ही, निजी क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रह गया है। पिछले दो दशकों में निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले सामने आए हैं। इसमें से कई प्रकरण ऐसे हैं, जिसमें निजी कंपनियों ने बैंको से कर्ज लेकर उसे चुकाया नहीं। कुछ कंपनियों के निदेशक और प्रवर्तक पैसा लेकर फरार हो गए। किंगफिशर एयरलाइंस घोटाला, पीएनबी कर्ज घोटाला और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कर्ज घोटाला बिलकुल ताजा मामले हैं।

भारत में किंगफिशर और पीएनबी घोटाले में जैसे खेल हुआ ऐसा ही कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर, फाइनेंस, ट्रांसपोर्ट सहित दूसरे कई क्षेत्रों में काम कर रही इंफ्रास्ट्रक्चर एंड लीजिंग फाइनेंशियल सर्विसेज यानी आईएलएंडएफएस के मामले में सामने आया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने हाल में ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे से पूछताछ भी की है। अगर रुपयों के हिसाब से इसे देखा जाए तो यह पीएनबी और किंगफिशर स्कैम से भी बड़ा मामला है।

नोमुरा इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार आईएलएंडएफएस समूह पर कुल 91000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। आईएलएंडएफएस को छोटी अवधि का करीब 13,559 करोड़ रुपये और लंबी अवधि का 65,293 करोड़ रुपये चुकाना है। इसमें से 60 हजार करोड़ रुपये के आसपास का कर्ज सड़क, बिजली और पानी की परियोजनाओं से जुड़ा है।

क्या है आईएलएंडएफएस

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आईएलएंडएफएस सरकारी क्षेत्र की नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) है और इसकी कई सहायक कंपनियां भी हैं। 1987 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी ने आधारभूत संरचना के विकास के लिए कर्ज देने के मकसद से एक कंपनी बनाई। इसका नाम आईएलएंडएफएस रखा गया।

आईएलएंडएफएस को शुरूआती दौर में सरकारी प्रोजेक्ट्स मिलते रहे। क्योंकि इस दौरान आईसीआईसीआई और एचडीएफसी कॉर्पोरेट सेक्टर में ज्यादा ध्यान दे रहे थे। 1992-93 में कंपनी ने जापान की ओरिक्स कॉर्पोरेशन के साथ तकनीक और वित्तीय साझेदारी के लिए करार किया।

1996-97 में आईएलएंडएफएस ने दिल्ली-नोएडा टोल ब्रिज का निर्माण किया जिसकी खूब चर्चा हुई। उदारीकरण के दौर में जब भारत ने बुनियादी ढांचे पर भारी-भरकम निवेश की घोषणा की तो देखते ही देखते छोटी-मोटी सड़कें बनाने वाली ये कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर की दिग्गज कंपनी बन गई।

2014-15 में मोदी सरकार में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण, सड़कों, सुरंगों और सस्ते घरों को बनाने की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं में आईएलएंडएफएस ने हाथ आजमाया। इस दौरान कई प्रोजक्ट्स को इसने खुद बनाया जबकि कई में उसने जॉइंट वेंचर किया। रेटिंग एजेंसियों ने इस कंपनी तो एएए रेटिंग दी थी।

कहां हुई गड़बड़

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आईएलएंडएफएस ने छोटी अवधि में लौटाने वाला बहुत अधिक कर्ज ले लिया जितनी उसकी आमदनी नहीं थी। इस कारण कर्ज को लौटाने में कंपनी असफल साबित हुई।

साल 2018 में सामने आया था घोटाला
आईएलएंडएफएस में घोटाले की जानकारी साल 2018 में सामने आई जब आईएलएंडएफएस और उसकी सहायक कंपनियों ने नकदी संकट की वजह से कर्ज के भुगतान में देरी की। मार्च 2018 तक 2018 तक आईएलएंडएफएस और उसकी सहायक कंपनियों पर बैंकों और अन्य ऋणदाताओं का 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया था।

आईएलएंडएफएस के दिवालिया हो जाने से क्या होगा
आईएलएंडएफएस कई सरकारी प्रोजेक्ट्स से जुड़ी है और इसने अपना अधिकांश कर्ज भी सरकारी कंपनियों को ही दिया है। यानी इसमें सहभागी आम लोगों का पैसा डूबने का डर है।

आईएलएंडएफएस में एलआईसी और जापान की ओरिक्स कॉर्पोरेशन की 20 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी है, जबकि अबु धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और आईएलएंडएफएस वेलफेयर ट्रस्ट का कंपनी में 10 फीसदी से अधिक का हिस्सा है। जिस कारण से अगर आईएलएंडएफएस दिवालिया होता है तो इसका सीधा असर निवेशकों पर पड़ेगा।

आईएलएंडएफएस की सहायक कंपनियां

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विनिर्माण
आईएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क इंडिया लिमिटेड
आईएलएंडएफएस एनर्जी डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड
आईएलएंडएफएस टॉउनशिप एंड अरबन एसेट लिमिटेड
आईएलएंडएफएस मेरिटाइम इंफ्रास्टक्चर कंपनी लिमिटेड
आईएलएंडएफएस वॉटर लिमिटेड

वित्त
आईएलएंडएफएस फाइनेंस सर्विस लिमिटेड

पर्यावरण और सामाजिक अधोसंरचना
आईएलएंडएफएस एनवायरनमेंटल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज लिमिटेड
आईएलएंडएफएस एजुकेशन
आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम लिमिटेड

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