पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन और भारत में लोकसभा चुनाव के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि दोनों देश देर-सवेर बातचीत की मेज पर बैठेंगे। इस दौरान पाकिस्तान के पीएम भारत के समक्ष लगातार बिना शर्त बातचीत की पेशकश ही नहीं कर रहे थे, बल्कि दुनिया से भारत की ओर से दिलचस्पी न दिखाने की शिकायत भी कर रहे थे। इसी बीच भारत के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के साथ ही राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदलने के निर्णय के बाद स्थिति में अचानक बड़ा बदलाव आ गया। बिना शर्त बातचीत की पेशकश करने वाले पाकिस्तान ने अब बातचीत के लिए कश्मीर में पुरानी स्थिति बहाल करने की शर्त रख दी।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में अब दोनों देशों के बीच संवाद बहाली की संभावना खत्म हो गई है। दरअसल पाकिस्तान की सरकारों और सियासी दलों ने दशकों से कश्मीर को अपने देश में बड़ा मुद्दा बना रखा है। यही कारण है कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान घरेलू राजनीति में ही बुरी तरह उलझ गए हैं। कश्मीर के मोर्चे पर अंतर्राष्टरीय स्तर पर मिल रही लगातार नाकामी से वह अपने देश में विपक्ष के निशाने पर हैं। ऐसे में विपक्ष से दो दो हाथ करने के लिए उनके समक्ष भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के अलावा कोई दूसरा चारा भी नहीं है।