सरकार वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए उसे अत्याधुनिक हथियारों तथा प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए बजट की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। बजट की कमी को लाचारी के रूप में नहीं देखना चाहिए और इस बात पर जोर होना चाहिए कि जो जरूरी है, उसे खरीदा जाए।
देहरादून (संवाददाता) : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वायुसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए उसे अत्याधुनिक हथियारों तथा प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए बजट की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि सरकार वायुसेना की क्षमता और ताकत बढ़ाने को प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि सरकार उन कमियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो पिछले दशक में समय रहते निर्णय न लेने के कारण पैदा हुई। उन्होंने कहा कि इसके लिए वायुसेना को अत्याधुनिक हथियारों तथा प्रौद्योगिकी से लैस किया जाएगा और इसमें बजट की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि बजट की कमी को लाचारी के रूप में नहीं देखना चाहिए और इस बात पर जोर होना चाहिए कि जो जरूरी है, उसे खरीदा जाए।
उन्होंने कहा कि सेनाओं की क्षमता बढ़ाने के लिए इनके प्रमुखों को अपने अधिकारों का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए। वायुसेना को आयुध कारखानों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत स्वदेशी उत्पादों के विनिर्माण पर व्यापक योजना बनानी चाहिए। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कमांडरों से अपील की कि वे वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रशिक्षण पर पूरी तरह ध्यान दें। उन्होंने कहा कि इसमें सरकार की मेक इन इंडिया योजना का लाभ उठाया जा सकता है।