देहरादून। संवाददाता। भारतीय थल सेना में कुमांऊ का अपना अलग इतिहास रहा है। यहां के वीरों की गाथाए इतिहास में दर्ज हैं। वहीं अब भारतीय सेना की तीन कुमाऊं राइफल्स का शतवर्षीय कार्यक्रम पिथौरागढ़ में शुरू हो गया है। समारोह में मुख्यअतिथि थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत हैं।
सोमवार को सुबह शुरू हुए इस समारोह में पूर्व सैनिक,वीरांगनाएं और उनके आश्रित भाग ले रहे हैं। इस मौके पर थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने तीन कुमाऊं के 100 साल पूरे होने पर डाक टिकट जारी किया।
तीन कुमाऊं राइफल्स का शतवर्षीय समारोह कार्यक्रम तय समय पर शुरू हो गया। करीब पौने नौ बजे मुख्यअतिथि थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत समारोह स्थल पर पहुंच गए। इस मौके पर थल सेना अध्यक्ष रावत ने सेरेमेनियल परेड की सलामी ली। तीन कुमाऊं के 100 साल पूरा होने पर आर्मी चीफ ने डाक टिकट भी जारी किया।
इस मौके पर आर्मी चीफ रावत ने कहा कि तीन कुमाऊं का इतिहास गौरवशाली रहा है। रावत ने कहा कि भारतीय सेना में तीन कुमाऊं का योगदान सराहनीय रहा है। उन्होंने पूर्व सैनिकों और विधवाओं की पेंशन से जुड़ी दिक्कतों का समाधान तत्परता से करने का आश्वासन दिया।
गौरतलब है कि 23 अक्तूबर 1917 को अल्मोड़ा के सितोली गांव में तीन कुमाऊं राइफल्स की स्थापना हुई थी। तीन कुमाऊं के जवानांे ने दो विश्व युद्ध के साथ पाकिस्तान और चीन के खिलाफ भी युद्ध में अपना पराक्रम दिखाया।
तीन कुमाऊं को युद्ध में पराक्रम दिखाने पर आजादी से पहले 28 पदक और आजादी के बाद 166 पदक मिले हैं। कुमाऊं रेजीमेंट का गौरवशाली इतिहास इससे से समझा जा सकता है कि इस रेजीमेंट के वीर सपूत को देश का पहला परमवीर चक्र मिला था। वहीं इस रेजीमेंट ने देश को तीन सेनाध्यक्ष भी दिए हैं।