आम आदमी पार्टी के तीसरी ताकत बनने से सत्ता की मजबूत दावेदारी का दावा कर रही कांग्रेस में बड़ी चिंता उभर रही है। खासकर दिल्ली में आप के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के सत्ता की लड़ाई बाहर होने से चिंता का दायरा बढ़ रहा। अल्पसंख्यक व आरक्षित वर्ग के मतदाताओं में आप की बढ़ती घुसपैठ ने कांग्रेस को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। जानकारों के अनुसार कुमाऊं में एक दर्जन से अधिक सीटों पर आप की बढ़ती धमक कांग्रेस की संभावना पर पलीता लगा सकती है।
राज्य में सत्ता की बिसात बिछाने से पहले भाजपा कांग्रेस की मतदाताओं को गोलबंद करने की होड़ मची है मगर अबकी बार आप ने भाजपा की कम तो कांग्रेस की चिंता अधिक बढ़ाई है। अल्पसंख्यक व आरक्षित वर्ग के साथ सरकार से नाराज लोगों का आप की ओर बढ़ता रुझान कांग्रेस के लिए टेंशन बन गया है। यही वजह रही कि पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उक्रांद नेता काशी सिंह ऐरी के साथ शिष्टाचार मुलाकात की थी। इस मुलाकात से मतदाताओं को संदेश दिया गया कि आप के बजाय उक्रांद को महत्ता दें।
राज्य में उक्रांद भले ही क्षेत्रीय दल हो मगर जनता में सहानुभूति के बाद भी दल के रणनीतिकार जनाधार बढ़ाने या नया नेतृत्व देने में विफल रहा है। यही कारण है कि दल की भूमिका वोट कटुवा वाली हो गई है जबकि दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रबंधन से लेकर लोकलुभावन वादों से जनता में तीसरी ताकत के रूप में स्थापित कर दिया है।
काशीपुर, रामनगर से लेकर कपकोट, अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत समेत अन्य सीटों पर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार आप यदि कांग्रेस का 60 फीसद तो भाजपा का भी 40 प्रतिशत वोट काटेगी। भाजपा इस वजह से अधिक चिंतित नहीं है कि सरकार विरोधी वोट बंट जाएगा और कैडर वोट के सहारे नैया पार हो जाएगी।