ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की सुरंग के निर्माण के लिए हो रहे विस्फोटों से रानीगढ़ पट्टी के मरोड़ा गांव का अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। गांव में घरों से लेकर चौक, खेत और गोशालाएं दरारों से पटी हुई हैं, जो कभी भी बड़ी अनहोनी का कारण बन सकती हैं। गांव के 19 परिवार अन्यत्र शरण ले चुके हैं। प्रभावितों ने शासन, प्रशासन और आरवीएनएल से सुरक्षित पुनर्वास की मांग की है।
रुद्रप्रयाग जिले में रेल लाइन 11 गांवों से होकर गुजर रही है। इन दिनों सभी क्षेत्रों में निर्माण कार्य जोरों पर है, लेकिन रेल लाइन निर्माण के लिए जिस तरह से विस्फोटकों का इस्तेमाल हो रहा है, उससे गांवों को नुकसान हो रहा है। हालत यह है कि अगस्त्यमुनि ब्लॉक की रानीगढ़ पट्टी के मरोड़ा गांव के अस्तित्व पर ही संकट आ खड़ा हुआ है। गांव में मकान और गोशालाएं दरारों से पटी हैं। यहां रह रहे 40 परिवारों में से 19 परिवार सुरक्षा की खातिर अपने मकान छोड़कर अन्यत्र शरण ले चुके हैं। दरारों के लगातार बढ़ने से अन्य परिवार भी सुरक्षित स्थान पर जाने की तैयारी में हैं।
ग्रामीण बोले, कभी भी हो सकती है अनहोनी
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सभी आवासीय मकानों, गोशालाओं और खेतों में गहरी व चौड़ी दरारें पड़ी हैं, जो दिनोंदिन बढ़ रही हैं, इस स्थिति में गांव में कभी भी किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता। वन पंचायत सरपंच देवी प्रसाद थपलियाल, मातबर सिंह रावत, नरोत्तम सिंह रावत, अरविंद सिंह बुटोला, गंगादत्त थपलियाल, राय सिंह नेगी, विनोद सिंह नेगी आदि ने बताया कि गांव के ठीक नीचे से गुजरने वाले रेल लाइन के लिए पिछले कई दिनों से सुरंग का निर्माण हो रहा है। आए दिन हो रहे विस्फोटों से लोग सहमे हैं। उनके मकान और अन्य संपत्तियां कभी भी मलबे के ढेर में समा सकती हैं। उन्होंने रेलवे विकास निगम और जिला प्रशासन से गांव के पुनर्वास की मांग की है।
औने-पौने दामों पर बेच रहे मवेशी
दरारों से घर और गोशालाओं के जर्जर होने से लोग भयभीत हैं। पशुपालक अपने मवेशियों, गाय, भैंस, बैल, बकरियों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। कई परिवार अपने मवेशी बेच चुके हैं। मरोड़ा में बिगड़ते हालात के बीच जिला प्रशासन ने आरवीएनएल को ग्रामीणों को अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर बसाने के लिए कार्रवाई अमल में लाने को कहा है। साथ ही अन्यत्र शरण ले रहे परिवारों का किराया भुगतान के निर्देश भी दिए गए हैं।
मरोड़ा गांव के 19 परिवार अभी तक अन्यत्र शरण ले चुके हैं, जिनका किराया आरवीएनएल वहन कर रहा है। साथ ही आरवीएनएल को गांव के विस्थापन को लेकर भी कार्रवाई करने को कहा गया है। इस संबंध में आरवीएनएल और ग्रामीणों के साथ जल्द दूसरी बैठक की जाएगी।
– मनुज गोयल, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग