रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा के लिए हेली टिकटों के लेकर मारामारी मची हुई है। वीआइपी टिकट का जुगाड़ करने के बाद भी हेली से तीर्थयात्री केदारनाथ दर्शनों को नहीं जा पा रहे हैं।
गढ़वाल मंडल विकास निगम से टिकट देने के बाद हेली कंपनियां टिकट रद कर रही हैं, जिससे सैकड़ों यात्री बिना दर्शन के ही लौटने को मजबूर हो रहे हैं। अब तक कुल एक लाख 25 हजार से अधिक यात्री हेली से दर्शन कर चुके हैं, जबकि प्रतिदिन पंद्रह सौ यात्री हेली से बाबा के दर्शनों को पहुंच रहे हैं।
हेली टिकट मिलना किसी उपलब्धि से कम नहीं
केदारनाथ धाम के हेली टिकट मिलना किसी उपलब्धि से कम नहीं है। मंत्रियों से लेकर अधिकारियों से जुगाड़ कर हेली टिकट अपने नाम तो आवंटित करने में सफलता मिल रही है, लेकिन गढ़वाल मंडल विकास निगम से टिकट देने के बावजूद हवाई कंपनियां टिकट कैंसिल कर रही हैं।
जिससे दो से तीन दिन तक चक्कर काटने के बाद निराश होकर यात्रियों को वापस बैंरग लौटना पड़ रहा है। केदारनाथ के लिए हेली टिकट को लेकर हेली कंपनियों की भी भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
केदारघाटी व्यापार संघ के सचिव नितिन जमलोकी ने आरोप लगाया कि हेली कंपनियां की मनमानी से टिकट मिलने के बाद भी कैंसिल हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि हेली कंपनियां पहले अपने आनलाइन व चाटर बुकिंग को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे इसमें समय लग जाता है।
तीन दिन इंतजारी के बाद कैंसिल हो रहे टिकट
वीआइपी कोटे व आफ लाइन से टिकट मिलने के बाद भी दो से तीन दिन इंतजारी के बाद टिकट कैंसिल हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। लाइन में खड़े यात्रियों को आफ लाइन टिकट भी काफी कम संख्या में दिए जा रहे हैं। जिससे यात्री कई दिन तक लाइन में खड़े होने के बावजूद टिकट नहीं मिल पा रहा है। जिन्हे मिल रहा है उनके कैंसिल होने की संभावना बनी है।
हेली कंपनी पिनकैल के प्रबंधक पंकज नेगी ने बताया कि वीआइपी टिकट क्षमता से अधिक काटने पर टिकट कैंसिल किए जा रहे हैं। बड़ी संख्या मे यात्री से हेली से केदारनाथ जाना चाहते हैं, जबकि हेली टिकट सीमित हैं।
वहीं आफ लाइन टिकट की बात करें तो आफ लाइन टिकट एक दिन में तीन से साढ़े तीन सौ काटे जा रहे हैं, लेकिन इसमें डेढ़ सौ टिकट वीआइपी के नाम से काट जा रहे हैं। कई वीआइपी टिकट ऐसे हैँ जो उसी दिन आ रहे हैं, और लिस्ट में नाम न होने के बावजूद टिकट लेने में सफल हो रहे हैं।