चीना ने बेजुबानों को सिखाया जीना, घायल-बीमार पशुओं की करती हैं दवाई व देखभाल

0
74

रुद्रपुर। सड़क किनारे घायल कुत्ते, गाय, बछड़ों को देख चेहरे पर रुमाल डालकर निकलने वाले लोगों के लिए रुद्रपुर की चीना शर्मा किसी मिसाल से कम नहीं है। वह सड़क पर या अन्य किसी जगह पर घायल व बीमार बेसहारा पशुओं के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं।

दूध देकर सड़क पर छोड़ते हैं
समाज में भेदभाव सिर्फ इंसानों के बीच नहीं है बल्कि यह समस्या जानवरों के बीच भी होती है। गाय भैंस तो बहुत लोग पालते हैं।

पर दूध निकालने के बाद शहरों में लोग गाय को दिन भर सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में गाय, भैंस सड़कों पर विचरण करते हैं, जिनसे टकराकर लोग भी घायल होते हैं और पशु भी चोटिल होते रहते हैं।

दुधारू को रखते बाकि छोड़ देते

लोगों में लालच व संवेदनहीनता इस कदर है कि लोग दूध के लिए मादा पशुओं को पालते हैं पर नर को छुट्टा छोड़ देते हैं। इसलिए बछड़े व पाड़े की संख्या घूमंतू जानवरों में अधिक देखने को मिलती है।

आवारा कुत्ते भी हैं समस्या
लोगों में अच्छी नस्ल के कुत्तों को पालने का चलन है। वह उन्हें महंगे दाम में खरीदने से लेकर उनके पालन पोषण व ट्रेनिंग पर हजारों रुपये खर्च करते हैं। पर गली के कुत्ते को मार भगाते हैं। कुत्तों की बढ़ती संख्या लोगों के लिए मुसीबत है। आए दिन सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहनों की चपेट में आकर पैर, कमर तोड़ सड़क किनारे मिलेंगे।

बेजुबानों के लिए वरदान चीना

आदर्श कालोनी की चीना शर्मा पिछले 10 वषों से इन्हें नई जिंदगी देने का कार्य कर रही हैं। स्वयं एक निजी स्कूल में शिक्षक पद पर रहते हुए उन्होंने अब तक हजारों जानवरों को नई जिंदगी दी है। पति वेद प्रकाश खुद का व्यवसाय करते हैं। जबकि दोनों बेटियां विदेश हैं। ऐेसे में चीना पूरा समय जानवरों के बीच व्यतीत करती हैं। उनका देखभाल, चारा पानी, मरहम पट्टी स्वयं की जिम्मेदारी भी स्वयं उठाती हैं।

खुद के खर्चे से कराती हैं इलाज
पशुओं एवं जानवरों पर होने वाले सभी खर्च वह स्वयं से करती हैं। बताती हैं कि अमरदीप चौधरी, किशन शर्मा, डा. राजीव हमेशा सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं। गो रक्षा दल के लोगों को फोन करने पर घायल को एक से दूसरे स्थान ले जाया जाता है। निगम को भी एबीसी सेंटर शुरू करना चाहिए।

नगर निगम से शिकायत
घर में पर्याप्त स्पेस न होने के चलते वर्तमान में करीब 15-20 कुत्ते जिनके पैर नहीं है। पैरालाइज हैैं। चोटिल पशुओं को एबीसी सेंटर में रखा है। कभी संख्या अधिक तो कभी कम होती है। यहां उनकी देखभाल करती हैं।

लाेगों से रक्षा की अपील
बेजुबानों की देखरेख और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी एक से नहीं बल्कि सबको एकजुट होकर इनकी सुरक्षा का संकल्प लेना होगा। सड़क किनारे घायल पशुओं को देखकर उसे रेस्क्यू करने का तुरंत हर व्यक्ति को उपाय करना होगा।

रात में देखभाल के लिए रखा है कर्मचारी
चीना बताती हैं कि वह स्वयं ही गाय बछ़ड़े अाैर कुत्तों का देखभाल करती हैं। रात के वक्त के लिए एवं चारा पानी देने के लिए एक कर्मचारी को काम पर लगाया है। ताकि बेजुबानों को सही समय पर चारा पानी मिल सके। उसका वेतन स्वयं ही भुगतान करती हैं।

LEAVE A REPLY