कुंभ मेले में नागा साधु-संतों के अद्भुत और निराले रूप देखने को मिलते है और इनके साथ हमारी सनातन धर्म ,संस्कृति में इनमें दिखाई देती है और जब यह 12 वर्ष बाद कुंभ स्नान करने अपने तपस्या स्थल से यहां पहुचते है तो लोग इनके बारे में जानने के लिए और अपने कष्टों से निजात पाने के इनकी ओर आकर्षित होते है
आध्यात्मिक राजधानी के रूप में मान्यता प्राप्त कुंभ नगरी हरिद्वार इस समय वास्तव में धर्म ,आस्था ,श्रद्धा और अध्यात्म से सराबोर है ,जहा देखों संत ,नागा संत और अखाड़े ,टेंट और अखाड़ों की छावनियों के टीनशेड ही देखने को मिल रहे है ,कुंभ ने स्नान करने के लिए जहां देशभर से नागा सन्यासी और अन्य संत हरिद्वार पहुचे हुए है वही इनमें ऐसे संत भी है जो अपने आप में सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए है ,ऐसे ही एक संत है स्वामी नारायण नंद । स्वामी नारायण नंद अपनी कद काठी के चलते सबके आकर्षण का केंद्र बने हुए है कहा जाता है कि यह दुनिया के सबसे छोटे नागा सन्यासी है और इसीलिए हर कोई इनसे आशीर्वाद लेने को उत्सुक रहता है ,फिलहाल यह जूना अखाड़े की छावनी के निकट दुख हरण हनुमान मंदिर के निकट रह रहे है ।
स्वामी नारायण नंद की लंबाई है करीब 18 इंच, उम्र 55 वर्ष के करीब और वजन करीब 50 किलों, स्वामी नारायण नंद चल नही पाते है और दैनिक कर्म के लिए भी इनको सहायक की आवश्यकता पड़ती है लेकिन भोजन अपने हाथों से कर लेते है हल्की यह भोजन में दूध और एक रोटी ही खाते है मगर भजन पूरी लय में भक्तिभाव के साथ गाते है ।
स्वामी नारायण नंद मूल रूप से झांसी के रहने वाले है और ये हरिद्वार के कुंभ 2010 में जूना अखाड़े में शामिल हुए थे। फिर उन्होंने नागा संन्यासी की दीक्षा प्राप्ति की। नागा संन्यासी बनने से पहले उन का नाम सत्यनारायण पाठक था। संन्यासी दीक्षा लेने के बाद इन का नाम स्वामी नारायण नंद महाराज हो गया और तब से ही वह भगवान शिव की भक्ति में लीन हैं।
सभी के आकर्षण का केंद्र बने जूना अखाड़े के नागा सन्यासी स्वामी नारायण नंद का कहना है कि हमारा नाम नारायण नंद बावन भगवान है जूनागढ़ के नागा बाबा है, सन 2010 में कुंभ लगा था तब हम नागा हो गए थे , रहने वाले हम झांसी के हैं , झांसी के थे अब रहने लगे हैं बलिया जिला गुरु के पास, फिलहाल कुंभ मेला में हम आए हैं यह हमारे अखाड़े का मंदिर है यह हमारे सब अखाड़े वाले हैं भाई बंध है परिवार है हमारा, हमारे गुरु जी का नाम गंगा नंद दास है और गंगा नंद जी के गुरु का नाम आनंद गिरी है आनंद गिरी के गुरु का नाम हरि गिरि है और हमारी उम्र 55 साल है जन्म हमारा झांसी का है अब रहने लगे गुरुजी के पास ,बलिया जिला है बनारस के पास आपने सुना हो, वहीं पर हमारे गुरु जी रहते हैं यह भी हमारा अखाड़ा है यहां पर 4 महीना 6 महीना 2 महीना में आते जाते रहते हैं कोई बात नहीं है वह हाइट यही है लंबाई चाहे डेढ़ फुट मान लो या 18 इंची मान लो जो कुछ है यही है और हम आगे कुछ नहीं जानते।
दुखहरण हनुमान मंदिर बिरला घाट के महंत स्वामी उत्तम गिरी महाराज का कहना है कि यह महाराज हमारे नाती चेला लगेंगे, यह आनंद गिरी के शिष्य के शिष्य है जो आनंद गिरि पट्टी में रहते हैं जूना अखाड़े से बिलॉन्ग करते हैं और आनंद गिरि हमारे बड़े गुरु भाई लगते हैं और अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि महाराज के शिष्य है और मैं भी उन्हीं का शिष्य हूं यह स्थान भी महाराज का ही है यह जूना अखाड़े की शाखा है दुखहरण हनुमान मंदिर, इनका नाम नारायण नंद गिरि है जूना अखाड़े से बिलॉन्ग करते हैं और गंगा नंद गिरी जी के शिष्य है और यह रहने वाले झांसी के हैं इनके शरीर की लंबाई 18 इंच है और उम्र भी लगभग 60 वर्ष है और यह बचपन से ही ब्राह्मण बालक है ब्राह्मण परिवार से बिलॉन्ग करते हैं और साधु वेश में आने के बाद गृहस्थ का नाम बदल जाता है इनका यह यह सत्यनारायण पाठक है और इनका नाम अब नारायण नंद रख दिया है , सन्यास 2010 में लिए हैं, 2010 में यहां हरिद्वार का जो महाकुंभ हुआ था उसमें उस समय यह सन्यासी बने यह इनका दूसरा नहीं तीसरा कुंभ है इलाहाबाद भी इन्होंने कुंभ किया है हरिद्वार का यह दूसरा कुंभ है , स्वामी जी का वजन लगभग 50 किलो होगा , यह दूध पीते हैं और रात को एक रोटी खाते हैं इनका भोजन यही है , पूरी दिनचर्या दिनभर बैठना और सन्यासियों का जो कर्म है वह कर्म करते हैं पूजा पाठ ,अब कुंभ का मेला चल रहा है तो हर साधु आनंद ले रहे हैं यह भी आनंद ले रहे हैं , यह चलते नहीं है यह चल नहीं पाते हैं इनको उठाकर नित्यक्रम दैनिक क्रिया जो भी होती है इनको उठा कर के ही सारा काम कराया जाता है , हां भोजन प्रसाद अपने हाथ से ले लेते हैं टीका चंदन भी एक सेवक ही करता है।