शिक्षक जयकृष्ण पैन्यूली ने कृत्रिम रंगों को छोड़ गोबर और गोमूत्र से बनाई शानदार पेंटिंग

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पौड़ी। प्रकृति के चित्रण में कृत्रिम रंग भरने के बजाय मिट्टी के रंगों का प्रयोग करने वाले शिक्षक जयकृष्ण पैन्यूली ने चित्रकारी में गोबर और गोमूत्र के इस्तेमाल का अनूठा प्रयोग किया है। कैनवास पर गोमूत्र और गोबर के मिश्रण से तैयार किए गए जीवंत चित्रों को कलाप्रेमियों की खूब वाहवाही मिल रही है।

उत्तराखंड के कीर्तिनगर निवासी जयकृष्ण पैन्यूली  रुद्रप्रयाग जिले के जीआईसी खरगेड़ में रसायन विज्ञान के शिक्षक हैं, लेकिन उनकी ख्याति कवि और चित्रकार के रूप में हैं। उनकी खासियत है कि वह कृत्रिम रंगों या तेल रंगों के बजाय मिट्टी के रंगों का प्रयोग करते आ रहे हैं। मिट्टी के रंगों से बेहतर परिणाम मिलने के बाद उन्होंने अब गोबर और गोमूत्र के रंगों का प्रयोग भी शुरू किया है, जो सफल रहा है।

 

गोमूत्र और गोबर के मिश्रण से बनाई गई उनकी पेंटिंग एकदम सजीव नजर आती हैं। पैन्यूली बताते हैं कि गोबर और गोमूत्र के रंगों का प्रयोग ड्राइंग शीट या कैनवास पर बखूबी किया जा सकता है। प्राकृतिक चित्रण या किसी वस्तु के मूल रंग मसलन कच्चा रास्ता, मिट्टी की दीवार, पुराने पेड़ या चेहरे को यह रंग बेहतर उभारता है। जबकि जल रंग या तेल रंग की पेंटिंग में कई रंग मिलाने के बावजूद कुदरती रूप नहीं आता है। 

शिक्षक ने गौमूत्र और गोबर से बनाई पेंटिंग

 

शिक्षक जयकृष्ण पैन्यूली ने बताया कि सूखे गोबर को कुछ दिन पानी में रख देने पर उसका रंग काला-भूरा हो जाता है। यदि इसे गोमूत्र में डुबो दिया जाए, तो काला रंग देता है। पेंटिंग बनाते वक्त इसमें पेड़ का गोंद मिलाया जाता है। गोबर में पानी के बजाय गोमूत्र मिलाने पर ज्यादा अच्छी पेंटिंग होती है।

शिक्षक ने गौमूत्र और गोबर से बनाई पेंटिंग

यदि काले-भूरे के अलावा अन्य रंगों की जरूरत हो, तो इसमें अलग-अलग रंग की मिट्टी मिलाई जा सकती है। बता दें कि जयकृष्ण पैन्यूली की तैनाती भिलंगना ब्लॉक के एक स्कूल में हुई। कुछ बच्चे ऐसे थे, जो खराब आर्थिक स्थिति की वजह से रंग नहीं खरीद सकते थे।

शिक्षक ने गौमूत्र और गोबर से बनाई पेंटिंग

रसायन विज्ञान का शिक्षक होने के बावजूद उनको चित्रकारी का बहुत शौक है। उन्होंने कृत्रिम रंगों का प्रयोग करने के बजाय कुछ और अलग करने की ठानी। प्रयोग के तौर पर उन्होंने सबसे पहले लाल मिट्टी से कागज पर पेंटिंग बनाई।

गौमूत्र और गोबर से पेंटिंग बनाते जयकृष्ण पैन्यूली

छह-सात महीने प्रयोग करने के बाद यकीन हो गया कि मिट्टी का रंग के विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद वह विभिन्न स्थानों से अलग-अलग रंग की मिट्टी लाए और इनका रंग के तौर पर प्रयोग किया। जब मिट्टी का प्रयोग सफल रहा, तो गोबर व गोमूत्र से पेटिंग बनाने का काम किया।

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