उत्तरकाशी जिले के  रामनगर गढ़ में खुदाई में निकल रही है प्राचीन मूर्तियां, ग्रामीणों ने की पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने की मांग

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उत्तरकाशी जिले केडुंडा प्रखंड के पयांसारी गांव के पास रामनगर छानी क्षेत्र में जमीन की खुदाई में निकल रही प्राचीन मूर्तियां यहां एक प्राचीन सभ्यता दफन होने की ओर संकेत कर रही है। ग्रामीणों ने सरकार से इस स्थान का पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने की मांग की है। यमुनोत्री हाईवे से महज दो किमी पैदल दूरी पर स्थित गांव में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।खुरमोला ग्राम पंचायत के पयांसारी गांव के निकट रामनगर तोक में क्षेत्र के कई गांवों के ग्रामीणों की छानियां और खेती की जमीनें हैं। इसी साल यहां पानी के धारे के सौंदर्यीकरण के लिए जब ग्रामीणों ने खुदाई की, तो वहां से मंदिर के स्तंभ आकार के तराशे हुए पत्थर एवं मूर्तियां निकलीं। ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी क्षेत्र में खुदाई करने पर मूर्तियां निकली हैं। पयांसारी गांव निवासी 62 वर्षीय त्रेपन सिंह कुमाईं बताते हैं कि दो दशक पहले पटारा गांव निवासी अतोल सिंह नेगी जब यहां अपनी छानी बना रहे थे, तब भी शेषनाग की मूर्ति और शिवलिंग की नाली खुदाई में निकली थी। राजशाही के जमाने में भी फॉरेस्ट गार्ड सत्य शरण डोभाल के मकान निर्माण के लिए की गई खुदाई में भी कई प्राचीन मूर्तियां निकलने पर उन्हें यहां से दूर मकान बनाना पड़ा। कई बार तो खेतों में हल चलाते समय भी मूर्तियां निकली हैं। इन मूर्तियों को ग्रामीणों ने यहां बने प्राचीन काली मंदिर परिसर में एकत्र किया हुआ है।गांव के 75 वर्षीय बुजुर्ग अतर सिंह नेगी बताते हैं कि पीढ़ियों से क्षेत्र में किवदंतियां हैं कि सदियों पहले यहां किसी बौद्ध राजा का गढ़ था। उस राजा द्वारा हिंदू देवी देवताओं का अपमान किए जाने पर दैवीयप्रकोप से उसका साम्राज्य तबाह हो गया। इस स्थान पर आग्नेय चट्टानों की मौजूदगी से ग्रामीण दैवीय प्रकोप से पूरे गढ़ के भस्म होने का अंदाजा लगाते हैं।सदियों तक वीरान रहे इस रामनगर गढ़ में टिहरी राजशाही के दौरान भंडारस्यूं क्षेत्र के मालना, पटारा, कल्याणी, जुणगा, पैंथर, ओल्या, बुटियारा आदि गांवों के ग्रामीणों ने छानियां बनाकर खेतीबाड़ी शुरू की। ग्रामीण वर्ष 1965-66 तक यहां तिब्बती मूल के लोगों के रहने की बात भी बताते हैं।

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