उत्‍तरकाशी के इन दुर्गम क्षेत्रों में टीकाकरण कर 60 घंटे बाद लौटी टीम

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उत्तरकाशी। जिला मुख्यालय से 235 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले से सटी पंचगांई पट्टी के लिवाड़ी-फिताड़ी सहित पांच गांव में टीकाकरण करने गई टीम 60 घंटे बाद तहसील मुख्यालय मोरी लौटी हैं। इस टीम ने पंचगांई पट्टी के पांच गांवों में 674 ग्रामीणों का टीकाकरण किया है। संचार सेवा ठप होने के कारण यह टीम तीन दिन तक संचार संपर्क से भी पूरी तरह कटी रही। यही नहीं, टीकाकरण टीम के जोश व जज्बे के सामने धूप, बारिश, दरकते पहाड़ और उफनते नालों का रौद्र रूप भी गौण दिखा।

पंचगांई पट्टी के फिताड़ी, रेक्चा, हरिपुर गांव को जोड़ने के लिए सड़क की कटिंग हो गई है। जबकि राला और लिवाड़ी गांव अभी सड़क से नहीं जुड़े हैं। जखोल से फिताड़ी तक जो सड़क की कटिंग हुई है उस पर नदी, नालों को पार करने के लिए मोटर पुल नहीं बने हैं। जिससे सड़क का निर्माण व्यर्थ है तथा जगह-जगह भूधंसाव की जद में है। पैदल पुलों और रास्तों की स्थिति भी बेहद ही जर्जर है। पंचगांई पट्टी के गांवों में टीकाकरण करने को गत आठ अगस्त को मोरी से स्वास्थ्य टीम रवाना हुई। जखोल तक वाहन में गई। फिर पैदल सफर शुरू हुआ। इस टीम में शामिल फार्मासिस्ट दिनेश भट्ट कहते हैं कि जब जखोल से पैदल चले तो खेड़ा घाटी में सुपीन नदी को पार करने के लिए जर्जर लकड़ी की पुलिया है।

जिसमें काई जम गई है तथा फिसलन का खतरा बना हुआ है। टीकाकरण टीम ने बारिश के बीच किसी तरह से उस पुलिया को पार किया। कुछ आगे पहुंचे पैदल रास्ते पर एक पहाड़ी दरक रही थी। जिससे रास्ता पूरी तरह से बंद हुआ, लेकिन स्वास्थ्य टीम ने मलबे और बोल्डरों के बीच से होकर भूस्खलन जोन पर किया। एएनएम श्वेता राणा ने कहा कि जखोल से 15 किलोमीटर पैदल चलकर वे देर शाम को राला गांव पहुंचे। दिन भर चिप्स खाकर ही गुजारा किया। फिर नौ अगस्त और दस अगस्त की दोपहर तक पांचों गांवों में वैक्सीनेशन अभियान चलाया। फिताड़ी गांव में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्‍ता और प्रधान न मिलने के कारण खासी परेशानी हुई, लेकिन फिर अच्छा टीकाकरण हुआ है। गत मंगलवार की देर शाम करीब आठ बजे मोरी पहुंचे। उनकी टीम में एएनएम संगीता चौहान, राजस्व उप निरीक्षक नवीन भारद्वाज, ग्राम विकास मंत्री सौरभ उनियाल व जयपाल शामिल थे।

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