उत्तरकाशी : सीमांत जनपद उत्तरकाशी जनपद पहले से ही विकास के लिए कम और भ्रष्टाचार के लिए अधिक जाना जाता है। जो पैसा सरकार से विकास कार्यो के लिए आता है, वह पैसा अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में चले जाता है। यही नहीं यहां आम लोगों को भी अपने काम करने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं।
बिना सेवा के अधिकारी काम करने को तैयार नहीं होते हैं। इसी कारण यहां अधिकारी व कर्मचारी विजिलेंस सहित अन्य जांच एजेंसियों के रडार पर रहते हैं। अब कमीशनखोरी के विरुद्ध उत्तरकाशी पुरोला के विधायक दुर्गेश्वर लाल ने मोर्चा खोल दिया है। ठेकेदारों से 40 प्रतिशत कमीशन लेने ओर वन महकमे के अधिकारियों के रवैये को लेकर पुरोला से भाजपा के विधायक दुर्गेश्वर लाल ने मुख्यमंत्री तक शिकायत की है।
विधायक दुर्गेश्वर लाल ने कहा कि अधिकारियों की मनमानी और कमीशनखोरी करने की शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी की है। जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री के दिल्ली से लौटने पर जल्द कार्रवाई की उम्मीद है। विधायक का दावा है कि उनके पास गोविंद वन्यजीव विहार क्षेत्र में कमीशनखोरी किए जाने के प्रमाण हैं।
गोविंद वन्यजीव विहार नेशनल पार्क क्षेत्र में आते हैं 42 गांव
पुरोला विधानसभा क्षेत्र के 42 गांव गोविंद वन्यजीव विहार नेशनल पार्क क्षेत्र में आते हैं। पार्क क्षेत्र होने के कारण इन गांवों में कुछ बंदिशें भी हैं। पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल का गांव भी पार्क क्षेत्र में आता है। दुर्गेश्वर लाल की नाराजगी गोविंद वन्यजीव विहार के वन अधिकारियों से शुरू हुई। विधायक दुर्गेश्वर लाल ने वन विभाग के अधिकारियों पर ठेकेदारों से 40 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया है। जिसके कारण निर्माण कार्य निम्न गुणवत्ता के हो रहे हैं।
साथ ही नेशनल पार्क के अधिकारी स्थानीय ग्रामीणों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे हैं। चुने हुए क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की बात को नहीं सुना जा रहा है। विधायक दुर्गेश्वर लाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि वन महकमे ने गोविंद वन्यजीव विहार को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है साथ कमीशन का कैश काउंटर खोला हुआ है।
इसी कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के कारण तालुका से ओसला को जोड़ने वाली 32 लाख की पुलिया उद्धाटन से पहले ही धराशाही हुई है। विधायक दुर्गेश्वर लाल ने एक कद्दावर मंत्री और महकमे के एक अधिकारी पर भी कमीशनखोरी करने का आरोप लगाया है।