उत्तरकाशी जिले की पुरोला विधानसभा सीट से विधायक राजकुमार भाजपा और कांग्रेस से चुनाव लड़कर दो बार विधायक बने, लेकिन 2012 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लगभग 14 सालों के बाद राजकुमार ने दोबारा से भाजपा में वापसी की है।राजकुमार के पिता पतिदास ने भी वर्ष 1985 उत्तरकाशी से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। उस दौरान से ही उनका परिवार कांग्रेस से जुड़ा है। राजकुमार ने देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा ली। लेकिन छात्र राजनीति में कभी भी सक्रिय नहीं रहे।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राजकुमार भाजपा से जुड़े। वर्ष 2007 में उन्होंने सहसपुर (आरक्षित) सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वर्ष 2012 सहसपुर सीट सामान्य हो गई थी। जिससे उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा सीट बदली और पुरोला सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। इस बार चुनाव में वे हार गए। 2017 में कांग्रेस के टिकट पर पुरोला से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वर्तमान में वे विधायक हैं। चुनाव से पहले राजकुमार ने कांग्रेस छोड़ कर फिर से भाजपा में वापसी की है।
राजकुमार कमजोर कड़ी थे, जो वक्त से पहले टूट गए: कांग्रेस
गोदियाल ने कहा कि भाजपा का तोड़फोड़ की राजनीति का पुराना इतिहास रहा है, इससे पहले भी उन्होंने जनादेश का अपमान कर उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा सहित कई अन्य राज्यों में विपक्षी दल के विधायकों को धन का लालच देकर तोड़फोड़ की है।
कहा कि भाजपा को उत्तराखंड में अपनी हार सुनिश्चित लग रही है। उसके पास चुनाव लड़ने लायक चेहरे नहीं बचे हैं, इसलिए वह कांग्रेस और अन्य दलों के लोगों को लालच देकर अपनी पार्टी में शामिल कर रही है।
राजकुमार की स्थिति क्षेत्र में अच्छी नहीं थी
गोदियाल ने कहा कि राजकुमार हमारी एक कमजोर कड़ी थे। उनकी राजनीतिक स्थिति उनके विधानसभा क्षेत्र में कैसी थी, यह बात किसी से छुपी नहीं है। उन्होंने अपने बचाव के मकसद से पार्टी बदली है, लेकिन क्षेत्र की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। उन्होंने खुद ही संगठन को छोड़कर सही काम किया। अब कांग्रेस अपने जमीन से जुड़े पकड़ वाले उम्मीदवार को टिकट देकर एक सीट पक्की करने का काम करेगी।