उत्तराकाशी। निर्मल एवं स्वच्छ गंगा के दावों के बावजूद गंगा धाम गंगोत्री से ही भागीरथी (गंगा) गंदगी ढोने को विवश है। भागीरथी के घाट और तटों पर गंदगी की ढेर लगे हुए हैं, लेकिन स्वच्छता का ढोल पीटने वाला जिला प्रशासन और गंगोत्री नगर पंचायत केवल रस्मों को निभा रहे हैं। हैरत देखिए कि गंगोत्री धाम के कपाट खुलने से लेकर कपाट बंद होने तक हर दिन एकत्र होने वाले दो से तीन क्विंटल कूड़े को कहां ठिकाने लगाया जाता है, इसका जवाब भी प्रशासन के पास नहीं है।
साथ ही गंगोत्री में कूड़ा निस्तारण की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। वर्ष 2012-13 में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को कॉम्पेक्टर मशीन तो लगा दी गई, लेकिन उसका संचालन सिर्फ 2015 तक ही हो पाया।
गंगोत्री धाम में घाटों से लेकर पाटों (तट) तक जगह-जगह कचरा बिखरा पड़ा है। इसमें प्लास्टिक की बोतलें, पॉलीथिन बैग, खाद्य पदार्थों के प्लास्टिक रैपर, कपड़े आदि शामिल हैं। यह कूड़ा सीधे भागीरथी में समा रहा है।