उत्तराखंड में डीपीआर बनाने से पहले देनी होगी सर्वे और डिजाइन की जानकारी

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उत्तराखंड में बनने वाले पुलों के निर्माण के दौरान तकनीकी समस्याओं के मामले सामने आने के कई प्रकरणों को देखते हुए शासन ने पुलों के निर्माण के लिए बनने वाली डीपीआर की प्रक्रिया में अब थोड़ा बदलाव किया है। अब डीपीआर को अंतिम रूप देने से पहले चयनित कंसलटेंट को चरणबद्ध तरीके से पुल के निर्माण को अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी।

सर्वे और डिजाइन का विभाग द्वारा अनुमोदन करने के बाद ही डीपीआर अनुमोदित की जाएगी। प्रदेश में इस समय गांवों को जोड़ने के लिए लगातार पुल बनाने का कार्य चल रहा है। इसी वर्ष सरकार ने 48 पुल बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है। इसमें एक बात यह सामने आई है कि पुलों के निर्माण के लिए वर्क आर्डर जारी होने के बाद ही कंसलटेंट द्वारा तैयार डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बना कर विभाग में जमा की जा रही थी। इससे डीपीआर की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं हो पा रही थी। इस कारण कई बार पुल के निमार्ण के दौरान इसके डिजाइन में खामी की जानकारी मिल रही थी।

इसे देखते हुए अब शासन ने अब एक नया प्रपत्र रिक्वेस्ट फार कोटेशन जारी किया है। इसमें अनुबंध की शर्तें, कोटेशन में क्या प्रक्रिया अपनाई जानी है, चयनित कंसलटेंट को डीपीआर में क्या प्रक्रिया अपनानी है, इसका जिक्र होगा। इसके साथ ही इसमें साइट सर्वे और पुल के डिजाइन के संबंध में भी जानकारी देनी होगी, जिसे विभागीय अभियंता पहले ही जांच सकेंगे। इससे डीपीआर में एकरूपता आने की उम्मीद है।

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