उत्तराखंड में वर्तमान में आपातकाल का दंश झेलने वाले लोकतंत्र सेनानी कितने हैं, उनके चिह्नीकरण के लिए सरकार को सर्वे कराना चाहिए। लोकतंत्र सेनानी प्रेम बड़ाकोटी की अगुआई में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मिले प्रतिनिधिमंडल ने उनके समक्ष यह मांग रखी।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आपातकाल के दौरान जेलों में बंद रहे कई लोकतंत्र सेनानियों का कारागारों में रिकार्ड उपलब्ध नहीं है, जिस कारण वे लोकतंत्र सेनानी की पात्रता से बाहर हैं। लिहाजा, उनका चिह्नीकरण बेहद आवश्यक है। लोकतंत्र सेनानी बड़ाकोटी के अनुसार इस मौके पर मुख्यमंत्री को मांग पत्र भी सौंपा गया।
मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ संघर्ष के विषय को सरकार गरिमा प्रदान करे। इसके लिए उप्र की तरह एक्ट बनना चाहिए। जो व्यक्ति गिरफ्तार होकर राजनीतिक धाराओं में एक दिन भी कारागार में रहा हो, उसे आपातकाल बंदी माना जाना चाहिए। राज्य में इससे संबंधित शासनादेश में न्यूनतम एक माह की अविधि मानी गयी थी।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शासन ने लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन देने का निर्णय लिया है, मगर उनकी अपेक्षा पेंशन की कभी नहीं रही, इस विषय को योग्य गरिमा प्राप्त होनी चाहिए। यह विषय कई व्यवधानों में उलझा है, इसके समाधान को परामर्श के लिए समिति गठित की जा सकती है। रणजीत सिहं ज्याला के अनुसार मुख्यमंत्री ने इन सभी विषयों पर गंभीरता से विचार का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में रणजीत सिंह ज्याला, राजकुमार टांक,प्रेम बुड़ाकोटी आदि शामिल थे।