उपनल से 297 डॉक्टरों की नियुक्ति पर आयुर्वेद डॉक्टरों में रोष

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देहरादून। राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ ने उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि. (उपनल) से आयुर्वेद डॉक्टरों के 297 पदों की विज्ञप्ति जारी करने पर रोष जताया है। संघ का कहना है आयुष प्रदेश में आयुर्वेद डॉक्टरों से मजाक किया जा रहा है। जबकि उत्तराखंड के बेरोजगार आयुर्वेदिक चिकित्सक 8 से 9 वर्ष से राज्य लोक सेवा आयोग या चिकित्सा चयन बोर्ड के माध्यम से  नियमित नियुक्ति से राजपत्रित मेडिकल आफिसर बनने का सपना देख रहे हैं। 

राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. डीसी पसबोला ने कहा कि चिकित्सा अधिकारी का पद राजपत्रित होता है। इन पदों की नियुक्ति के लिए  विभागीय सेवा नियमावली बनाई गई। राज्य लोकसेवा आयोग या चिकित्सा चयन बोर्ड के माध्यम से नियुक्ति देने का प्रावधान है।

यहां तक एलोपैथिक चिकित्सकों और दंत चिकित्सकों की नियुक्ति कोरोना काल में भी इसी माध्यम से हुई हैं। उत्तराखंड जिसे संपूर्ण देश में आयुष प्रदेश का दर्जा दिया गया। यहां केवल आयुर्वेद चिकित्सकों को ही उपनल के माध्यम से अस्थायी नियुक्ति देकर बेरोजगार आयुर्वेद डॉक्टरों से खिलवाड़ किया जा रहा है। 

उपनल का गठन तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए किया गया था। उपनल के माध्यम से नियुक्ति की व्यवस्था इतनी अच्छी है तो सरकार को एलोपैथिक चिकित्सकों (एमबीबीएस और बीडीएस), आईएएस और पीसीएस जैसे प्रशासनिक पदों पर भी उपनल के माध्यम से ही नियुक्ति देनी चाहिए।

भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के उपाध्यक्ष डॉ. जेएन नौटियाल एवं निर्वाचित सदस्यों डॉ. महेंद्र राणा, डॉ. हरिद्वार शुक्ला, डॉ. चंद्रशेखर वर्मा, डॉ. नावेद आजम (यूनानी) ने इस संबंध में आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को पत्र भेजा है। प्रांतीय संघ के उपाध्यक्ष डॉ. अजय चमोला ने भी उपनल से नियुक्ति का विरोध करते हुए नियमित नियुक्ति की मांग की है।

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