देहरादून। केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार की चर्चाओं के बीच उत्तराखंड की नजर भी इस ओर लगी है। जिन राज्यों में निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव हैं, अगर उन्हें विस्तार में तरजीह मिली तो फिर उत्तराखंड के हिस्से भी एक मंत्री पद आ सकता है। उत्तराखंड से सांसदों के अलावा एक पूर्व मुख्यमंत्री को भी मंत्रिमंडल में जगह पाने का दावेदार बताया जा रहा है।
उत्तराखंड में लोकसभा की पांच और राज्यसभा की तीन सीटें हैं। इनमें से पांचों लोकसभा सीटें भाजपा के पास हैं, जबकि दो राज्यसभा सीटों पर भी भाजपा का ही कब्जा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक शिक्षा मंत्री के रूप में कर रहे हैं। पिछली भाजपा सरकार में अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा राज्य मंत्री रहे। इन दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल के जल्द विस्तार की चर्चाएं हैं। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत जिन राज्यों में निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, उन्हें मंत्रिमंडल में ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।
हालांकि, लोकसभा सदस्यों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड छोटा राज्य है, मगर यहां भाजपा की जड़ें काफी गहरी हैं। वर्ष 2014 के बाद से उत्तराखंड में भाजपा एकछत्र राज कर रही है। लगातार दो लोकसभा चुनावों में सभी पांचों सीटों पर जीत के अलावा वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीटों पर परचम फहराया था। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा के लिए उत्तराखंड काफी अहम है। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उत्तराखंड से दो लोकसभा सदस्यों को मंत्री पद मिला था।
तब पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी व अल्मोड़ा के सांसद बची सिंह रावत केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य थे। इसके अलावा वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज उत्तराखंड कोटे से राज्यसभा सदस्य थीं, वह भी उस समय केंद्र में मंत्री थीं। अब राजनीतिक गलियारों में जो चर्चाएं चल रही हैं, उनके मुताबिक उत्तराखंड से केंद्र में एक मंत्री बनाया जा सकता है। उत्तराखंड से भाजपा सांसदों अनिल बलूनी, अजय टम्टा, अजय भट्ट के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम दावेदारों में शुमार किया जा रहा है। त्रिवेंद्र को उनका चार साल का कार्यकाल पूर्ण होने से कुछ ही दिन पहले गत मार्च में मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था।