निगम, निकायों में अधिकारियों और कर्मचारियों की नियमावली में होगा  बदलाव

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त्तराखंड के सभी निगमों, निकायों में केंद्रीय सेवा के अंतर्गत तैनात होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा नियमावली में बदलाव होने जा रहा है। शहरी विकास निदेशालय ने उत्तराखंड स्थानीय नगर निकाय केंद्रीयित कर्मचारी सेवा नियमावली-2020 का ड्रॉफ्ट जारी कर दिया है। इस पर अधिकारी और कर्मचारी 15 दिन में अपने सुझाव दे सकते हैं। इसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
अभी तक के नियमों के हिसाब से नगर निगमों में श्रेणी तीन के अंतर्गत नगर आयुक्त के 50 प्रतिशत पदों पर स्थायी अपर नगर आयुक्त या संयुक्त निदेशकों में से तैनाती दी जाती थी। इस नियम में बदलाव करने का प्रस्ताव है। जिसके तहत नगर आयुक्त के 50 प्रतिशत पदों पर केंद्रीय सेवा में कार्यरत अपर नगर आयुक्त या संयुक्त निदेशक को तैनाती दी जाएगी। अभी तक इसमें केंद्रीय सेवा की शर्त नहीं थी।अपर नगर आयुक्त या संयुक्त निदेशक के पद पर अभी तक सात वर्ष की सेवा की अनिवार्यता थी, जिसके घटाकर पांच वर्ष किया जा रहा है। उप नगर आयुक्त या उप निदेशक के पद पर अभी तक आठ वर्ष की सेवा की अनिवार्यता थी, जिसके घटाकर पांच वर्ष करने का प्रस्ताव है। सहायक नगर आयुक्त या सहायक निदेशक या अधिशासी अधिकारी में भी सेवा की अवधि को 20 वर्ष से घटाकर 15 वर्ष करने का प्रस्ताव रखा गया है।इसी प्रकार, पालिकाओं में भी अधिशासी अधिकारी श्रेणी-2 के पदों पर सेवा की अवधि सात वर्ष से घटाकर पांच वर्ष, अधिशासी अधिकारी श्रेणी-3 के पदों पर सेवा की अवधि आठ वर्ष से घटाकर पांच वर्ष करने का प्रस्ताव है। कर एवं राजस्व अधीक्षक के पदों पर भी सेवा की अवधि आठ वर्ष से घटाकर पांच वर्ष करने का प्रस्ताव है।इसके लिए पात्रता की शर्तें भी बदली जाएंगी। अभी तक पात्रता बीकॉम थी, जिसके बदलकर बीकॉम या बीबीए या पोस्ट ग्रेजुएशन इन अकाउंटेंसी और हिंदी टाइपिंग में 4000 शब्द प्रतिघंटा की स्पीड की अर्हता रखी जाने का प्रस्ताव है। उत्तराखंड पालिका प्रशासी सेवा के अंतर्गत सहायक नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी श्रेणी-1, पालिका प्रशासी अधीनस्थ सेवा के अंतर्गत अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत, सहायक अभियंता सिविल, सफाई निरीक्षक राजस्व निरीक्षक के पदों पर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से प्रतियोगिता परीक्षा कराने का प्रस्ताव है।
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