मसूरी। यह स्वदेश फिल्म में अमेरिका से लौटे शाहरुख खान जैसी फिल्मी कहानी नहीं है। मसूरी के क्यारकुली गांव के गज्जे सिंह रावत ने हकीकत में वह कर दिखाया जो फिल्मी पर्दे पर ही दिखता है।
गज्जे सिंह ने गदेरे (नाले) के पानी में पनबिजली संयंत्र लगाकर पांच किलोवाट बिजली पैदा कर दी। गज्जे सिंह इसी बिजली के सहारे अपने फार्म हाउस के सारे काम करते हैं। उनकी इस तकनीक की गांववाले तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। साथ ही इस तकनीक को अपनाने की सोच रहे हैं।
मसूरी से सटे क्यारकुली गांव के किसान गज्जे सिंह रावत ने वर्ष 2007 में गांव के नीचे बह रहे गदेरे में पहले 19 फीट की ऊंचाई से बह रहे पानी से बिजली पैदा करने की कोशिश की, लेकिन अपेक्षाकृत बिजली बहुत कम पैदा हुई।
इसके बाद गज्जे सिंह ने पानी की ऊंचाई बढ़ाई और 160 फीट ऊंचाई से चार इंच के पाइप लगाकर नीचे छोटी टरबाइन लगाई। इससे अब पांच किलोवाट बिजली पैदा हो रही है। गज्जे सिंह रावत बताते हैं कि यहां से पैदा होने वाली बिजली का उपयोग वह अपने फार्म हाउस में करते हैं।
प्रोजेक्ट में दो लाख रुपये खर्च हुए
इस कार्य के लिए उरेडा से भी उनको सहयोग मिला था। प्रोजेक्ट में उनके करीब दो लाख रुपये खर्च हुए। गज्जे सिंह रावत कहते हैं कि पानी कभी कम, कभी ज्यादा होने से बिजली पैदा करने में थोड़ी समस्या आती है, लेकिन अपनी जरूरत के काम हो जाते हैं।
कुछ समस्याएं दूर करने की जरूरत
गज्जे सिंह बताते हैं कि बिजली कंट्रोल करने वाला उपकरण अक्सर खराब हो जाता है। इससे बिजली उत्पादन में समस्या आती है। फिलहाल इसमें कोई भी विभाग मदद नहीं कर रहा है। गज्जे सिंह रावत कहते हैं कि पहाड़ के गांवों में गाड़-गदेरे के पानी का अगर सही इस्तेमाल किया जाए तो कई गांवों का अंधेरा मिट सकता है।
इसके लिए सरकार और संबंधित विभागों को मदद के लिए आगे आना होगा। गांव की प्रधान कौशल्या रावत कहती हैं कि गज्जे सिंह रावत आज सबके लिए प्रेरणा का काम कर रहे हैं। उत्तराखंड को कभी आयुष प्रदेश तो कभी पर्यटन प्रदेश तो कभी सरकारों ने ऊर्जा प्रदेश बनाने का नारा देकर राजनीतिक रोटियां खूब सेंकी हैं।
हकीकत में यह नारा कभी धरातल पर नहीं उतर पाया, लेकिन किसान गज्जे सिंह रावत ने खुद के संसाधन से बिजली पैदा कर सरकार को आईना दिखाने का काम जरूर किया है।