सीएम के ट्वीट से छेड़छाड़ पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ट्वीट से छेड़छाड़ कर उसमें अमर्यादित शब्द जोडने का मामला सामने आया है। आरोपित ने ट्वीट से छेड़छाड़ करने के बाद उसे वायरल कर दिया। इस मामले में डीआइजी अरुण मोहन जोशी के निर्देश पर थाना कैंट में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। मामले की विवेचना निरीक्षक नदीम अतहर को सौंपी गई है।

पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री के उप समन्वयक परितोष सेठ ने इस सिलसिले में तहरीर दी थी। जिसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री ने गुरुवार को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिवस के अवसर पर सुबह आठ बजकर 41 मिनट पर अपने व्यक्तिगत ट्विटर अकाउंट से उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए एक ट्वीट किया था। जिसे किसी ने संपादित करके सोशल साइट्स पर वायरल कर दिया।

संपादित किए गए ट्वीट में आरोपित ने अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में डीआइजी को जांच कर दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। डीआइजी ने बताया कि इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जल्द ही आरोपित को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

असिस्टेंट गैरीसन इंजीनियर ने कोर्ट में कबूल किया जुर्म

कांट्रेक्टर से रिश्वत लेते पकड़े गए असिस्टेंट गैरीसन इंजीनियर केके सिंघल ने सीबीआइ कोर्ट में अपना जुर्म कबूल कर लिया है। आरोपित सिंघल ने कोर्ट में कबूलनामा देते हुए कहा कि उसे रिश्वत लेने का पछतावा है और उसे मुकदमा लड़ने के लिए वकील भी नहीं चाहिए। इस मामले में अब शुक्रवार को सुनवाई होगी।

सीबीआइ टीम आरोपित असिस्टेंट गैरीसन इंजीनियर केके सिंघल और जूनियर इंजीनियर मोहम्मद जहांगीर का मेडिकल करवाने के बाद दोपहर करीब दो बजे सीबीआई कोर्ट पहुंची। शासकीय अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने बताया कि आरोपित केके सिंघल ने कोर्ट में कबूलनामा देते हुए अपनी गलती स्वीकार कर ली है। इसलिए इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी। कोर्ट ने दोनों आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

सीबीआइ ने सैन्य अभियंत्रण सेवा (मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज) के असिस्टेंट गैरीसन इंजीनियर केके सिंघल और जूनियर इंजीनियर मो. जहांगीर को बुधवार को बीस-बीस हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।

दोनों ने एक कांट्रेक्टर से सिविल वर्क के मेजरमेंट के लिए 80 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। दोनों रिसर्च एंड डेवलपमेंट रायपुर के परिसर में स्थित कार्यालय में रिश्वत की पहली किश्त ले रहे थे। इसके अलावा सीबीआइ की टीम ने दोनों आरोपितों के घरों पर भी छापेमारी कर कई दस्तावेज कब्जे में लिए थे।

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