संघ में आए बिना संघ को समझना कठिन, संघ और हिन्दू दृष्टिकोण एक -मोहन भागवत

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  • भगवान राम हमारे आराध्य हैं।
  • अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर ही मंदिर बने, यह विचार हर हिंदुस्तानी का होना चाहिए।
  • राम मंदिर और गोमाता हिंदू संस्कृति का आधार हैं।
  • यह काम भी होगा तो दुनिया में हिंदुत्व की पहचान स्थापित होगी।   

देहरादून  :  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत इन दिनों देहरादून प्रवास पर हैं। सर संघ चालक प्रतिदिन समाज के विभिन्न वर्गों मिल वार्ता कर रहे हैं। इस दौरान उन्होने कहा कि भगवान राम हमारे आराध्य हैं। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर ही मंदिर बने, यह विचार हर हिंदुस्तानी का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर और गोमाता हिंदू संस्कृति का आधार हैं। यह काम भी होगा तो दुनिया में हिंदुत्व की पहचान स्थापित होगी।

अपने प्रवास के पहले दिन मंगलवार को उन्होंने एक शिष्टमंडल से वार्ता के दौरान कहा था कि धैर्य रखें, मंदिर वहीं बनेगा और जल्द बनेगा। उत्तराखंड प्रवास पर आए संघ प्रमुख डॉ. भागवत इन दिनों यहां तिलक रोड स्थित संघ कार्यालय में रोजाना समाज के विभिन्न वर्गां के प्रबुद्धजनों से विमर्श के अलावा संघ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।

बुधवार को उन्होंने सेवानिवृत्त अधिकारियों, जिनमें पांच पूर्व मुख्य सचिव भी शामिल थे, से सबसे पहले मुलाकात की। इसके बाद क्षेत्र के विभिन्न इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यां और शाम को देहरादून महानगर में स्थित संघ की 17 इकाइयों के कार्यकर्ताओं के संग बैठक की।

संघ के क्षेत्र कार्यवाह शशिकांत दीक्षित ने बुधवार शाम को पत्रकारों से बातचीत में संघ प्रमुख की मुलाकात का ब्योरा साझा किया। उन्होंने कहा कि विमर्श के दौरान राम मंदिर की बात भी उठी। इस पर संघ प्रमुख ने कहा कि राम मंदिर वहीं बने, यह हर हिंदुस्तानी का विचार होना चाहिए।

 संघ और हिन्दू दृष्टिकोण में कोई अंतर नहीं 

संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू और संघ के दृष्टिकोण में कोई अंतर नहीं है। जाति के आधार पर, भाषा के आधार पर भेद नहीं है। संघ की भाषा शांति की है और मकसद समाज को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि हम सभी की पूजा पद्धति में भिन्नता हो सकती है, लेकिन हमारे पूर्वज और संस्कृति एक ही हैं। राष्ट्र के निर्माण का कार्य सभी को मिलकर करना चाहिए।

पाकिस्तान व अफगानिस्तान संस्कृति से हिंदू हैं

संघ प्रमुख ने सेवानिवृत्त अधिकारियों से विमर्श के दौरान अपनी बात रखते हुए सबसे पहले संघ की स्थापना से लेकर अब तक के सफर को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि देश के अलावा अफगानिस्तान व पाकिस्तान के पूर्वज भी हिंदू ही थे, क्योंकि उनकी संस्कृति और रहन-सहन एक जैसा ही है। कहा कि हम सभी संस्कृति से हिंदू हैं। भाषाएं अनेक होने पर भी हम सब हिंदू समाज के घटक है और हिंदू संस्कृति को बचाए रखना हमारा कर्तव्य है।

 संघ को समझना है तो संघ में आएं

डॉ. भागवत से जब सवाल पूछा गया कि क्या अन्य धर्म के लोग संघ शाखा में आते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि आते हैं और आ सकते हैं। यह भी सवाल आया कि संघ एक रहस्य है और इस पर एक पर्दा गिरा हुआ है। इसके जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि संघ कोई रहस्य नहीं है। संघ को समझना है तो संघ में आएं। प्रत्यक्ष रूप से देखेंगे तो बेहतर ढंग से सही परिप्रेक्ष्य में संघ को समझ पाएंगे।

कहा कि इस सबके मद्देनजर संघ अलग-अलग अवसरों पर विशिष्ट व्यक्तियों को निमंत्रित करता है। इस कड़ी में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, वरिष्ठ पत्रकार अरुण पुरी का उल्लेख भी किया।

हिंदुत्व ही समानता का आधार

संघ प्रमुख ने कहा कि समानता का आधार ही हिंदू है। डॉ.भीमराव आंबेडकर ने भी संविधान मं इसे शामिल किया है। संविधान में समानता, समरसता और नागरिक के कर्तव्यों की चर्चा की है। संघ का मूल कार्य नागरिक के क‌र्त्तव्यों का जागरण करना है।

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