देहरादून। संवाददाता। बीते रोज विभिन्न एजेन्सियों के एग्जिट पोल के नतीजों के बाद उत्तराखण्ड कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। एबीपी जैसे किसी इक्का दुक्का एग्जिट पोल को छोड़ दें तो अधिकांश एजेन्सियों द्वारा अपने नतीजों में सूबे में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने का ही संकेत दिया है। अगर नतीजे 23 मई को भी वैसे ही आते है जैसा एग्जिट पोल दर्शा रहे है तो यह सूबे की कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगें। क्योंकि इन चुनावों में कई कांग्रेस नेताओं का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
राज्य गठन के बाद हुए पहले लोकसभा चुनावों को अगर छोड़ दें तो अब तक अन्य तमाम चुनावों में एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा सभी पांच सीटों पर कब्जा करने में कामयाब होती रही है। 2014 में मोदी लहर में भाजपा कांग्रेस से सभी पांच सीटें छीनने में कामयाब रही थी। अगर 2019 में भाजपा एक बार फिर सभी पांच सीटें जीतती है तो यह एक नया रिकार्ड होगा। 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में 10 से अधिक मंत्री विधायकों व नेताओं के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के बाद से लेकर अब तक जो भी चुनाव हुए है, कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीटें जीतकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था अगर अब लोकसभा चुनाव में भी उसका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहता है तो यह कांग्रेस ही नहीं कांग्रेस के कई नेताओं का राजनीतिक भविष्य दांव पर लग सकता है।
2019 के चुनाव मे कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की महत्ता को समझते हुए ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा था। यही नहीं हरीश रावत को तो तमाम विरोध के बाद भी उनकी मनपंसद सीट नैनीताल से टिकट दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर है कि वह विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर चुनाव हार गये थे और अगर वह एक बार फिर चुनाव हारते है तो उनका पूरा राजनीतिक कैरियर इन तमाम बड़ी असफलताओं के साथ ही समाप्त हो जायेगा। यही नहीं प्रीतम सिंह जिनके नेतृत्व में यह पूरा चुनाव लड़ा गया है उनकी हार और कांग्रेस की क्लीन स्वीप के साथ समाप्त होता है तो उनके नेतृत्व क्षमताओं पर भी सवाल खड़े होना स्वाभाविक है। पूर्व मुख्यमंत्री खण्डूरी के बेटे जिन्होने पौड़ी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अपनी पारी शुरू की है उनकी शुरूआत अगर असफलता के साथ होती है तो यह कांग्रेस व उनके लिए काफी बड़ा झटका होगा। वहीं अल्मोड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा भी इस बार दूसरी लगातार हार के साथ अपना राजनीतिक कैरियर गंवा देगें। यही कारण है कि इस एग्जिट पोल को लेकर कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ी हुई है।