देहरादून। संवाददाता। उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है. दरअसल राज्य के नीति नियंताओं की कल्पना यह थी कि अपनी एक हजार छोटी-बड़ी नदियों से राज्य इतनी बिजली पैदा कर लेगा कि वह न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी कर लेगा बल्कि अन्य बिजली बेचकर कमाई भी कर पाएगा. राज्य में छोटे-बड़े करीब 80 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं. राज्य में बिजली आपूर्ति के लिए जिम्मेदार निगम उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) दावा करता है कि राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में 23.30 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली दी जा रही है लेकिन यह दावा निगम मुख्यालय के बाहर ही हवा हो जाता है. राजधानी देहरादून में भी लोग रोज बिजली कटौती और वोल्टेज फ्लक्चुएशन झेल रहे हैं।
आंकड़ों की बाजीगरी
आरटीआई एक्टिविस्ट संजीप गुप्ता कहते हैं कि यूपीसीएल आंकड़ों की बाजीगरी में माहिर है. वह 24 घंटे ही नहीं दिन में 26 घंटे बिजली देने का दावा भी कर सकत है जैसे सौभाग्य योजना में एक लाख कनेक्शन फालतू देने का दावा कर दिया था. बाद में पोल खुली तो अधिकारी निचले कर्मचारियों की गलती बताकर पल्ला झाड़ने लगे।