देहरादून। भू-कानून के परीक्षण और अध्ययन को गठित उच्च स्तरीय समिति को 160 व्यक्तियों समेत विभिन्न संगठनों से सुझाव मिले हैं। इन सुझावों को समिति के सदस्यों को भेजा जाएगा। समिति की अगली बैठक इस महीने के दूसरे हफ्ते में होगी।
प्रदेश में मौजूदा भू-कानून में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर संशोधन को लेकर मुहिम तेज होने के बाद सरकार ने इस संबंध में पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। समिति भूमि कानून को लेकर विभिन्न पहलुओं से अध्ययन कर रही है। मौजूदा भूमि अधिनियम की वजह से होने वाली परेशानी और जन रोष के मद्देनजर विभिन्न पक्षों के साथ रायशुमारी की जा रही है।
समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि 31 अक्टूबर तक ई-मेल व डाक के माध्यम से आम जन व संगठनों से भूमि कानून के संबंध में सुझाव मांगे गए थे। समिति को प्राप्त सुझावों को सदस्यों को भी भेजा जाएगा। सदस्य इन सुझावों पर गौर करने के बाद समिति को अपना मंतव्य रखेंगे। समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि हिमाचल में लागू भूमि कानून का भी समिति अध्ययन कर रही है। उत्तराखंड में इसी तर्ज पर कानून बनाने के संबंध में भी संगठनों व विशेषज्ञों की राय ली जा रही है।
उन्होंने बताया कि समिति की अगली बैठक में भूमि कानून को लेकर जन सुनवाई शुरू करने के बारे में निर्णय लिया जाएगा। कोशिश की जा रही है कि इसमें बड़ी संख्या में जन भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इसके आधार पर ही समिति अपनी संस्तुतियों को अंतिम रूप देगी। इन संस्तुतियों को सरकार को सौंपा जाएगा। समिति राज्य की जनसांख्यिकी में हो रहे बदलाव को ध्यान में रखेगी। इस संबंध में आम जन से फीडबैक लिया जाएगा।
अधिक स्थानों पर हो जन सुनवाई: अजेंद्र अजय
भू-कानून में संशोधन पर विचार को गठित समिति के नवनियुक्त सदस्य अजेंद्र अजय ने सोमवार को समिति अध्यक्ष सुभाष कुमार से से भेंट की। उन्होंने सुझाव दिया कि समिति की ओर से अधिक स्थानों पर जन सुनवाई की जानी चाहिए। साथ ही इसमें सभी राजनीतिक दलों से भी सुझाव लिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भूमि-कानून में संशोधन को अंतिम रूप देने से पहले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की जानी चाहिए।