इन्द्रेश कुमार ने कहा; चीनी सीमा केवल चीन की दीवार तक, शेष सब कब्जा है

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चीन ने तिब्बत को हड़पा. तिब्बती धार्मिक शासक दलाईलामा दसकों से निर्वासित जीवनयापन कर रहे हैं. चीन ने शक्तिशाली होते ही यूनान पर कब्जा जमाना शुरू किया, मंगोलिया, तुर्कीस्तान के झिंगयान, नेपाल और पाकिस्तान में भी अब उसने सहायता के नाम पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया है. चीन साम्राज्यवादी दृष्टिकोण के कारण अंधा हो गया है और वह पूरे विश्व को ललकार रहा है.

शिमला (विसंकें) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन की नीति हमेशा से विस्तारवाद की रही है. चीनी दीवार तक ही चीन की सीमा है, बाकि सब चीन द्वारा दूसरों की जमीन छल बल से कब्जा की हुई है. यह बात आम लोगों को जानने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा चीन ने तिब्बत को हड़पा. तिब्बती धार्मिक शासक दलाईलामा दसकों से निर्वासित जीवनयापन कर रहे हैं. चीन ने शक्तिशाली होते ही यूनान पर कब्जा जमाना शुरू किया, मंगोलिया, तुर्कीस्तान के झिंगयान, नेपाल और पाकिस्तान में भी अब उसने सहायता के नाम पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया है. चीन साम्राज्यवादी दृष्टिकोण के कारण अंधा हो गया है और वह पूरे विश्व को ललकार रहा है.

इंद्रेश कुमार बीते रविवार को विश्व संवाद केंद्र हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित ऑनलाइन संवाद में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने चीन के खिलाफ भारतीय सैनिकों के पराक्रम और साहस की सराहना करते हुए कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियों से निपटने के लिए चीन का आर्थिक बहिष्कार करना अति आवश्यक है.

इंद्रेश कुमार ने आह्वान किया कि स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल को जनजागरण का अभियान बना लें. चीन की अर्थव्यवस्था की कमर को तोड़ने के लिए सबसे आवश्यक अस्त्र चीनी माल का बहिष्कार ही है. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चीन का सामान आज हमारे घरों तक पहुंच गया है और चीनी माल की घुसपैठ हमारी जेबों तक पहुंच गयी है, लेकिन कोरोना के इस संकट में लोगों में जनजागृति आयी है इसका लाभ उठाना चाहिए.

इंद्रेश कुमार ने चीनी वायरस को भगाने में तीव्र प्रकाश और तेज ध्वनि की वर्षों पुरानी पद्धति का विस्तार से वर्णन किया गया है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में हजारों साल से वायरस को भगाने की पद्धति विद्यमान रही है. कुछ मूर्ख लोग इस पद्धति पर भी सवाल उठा रहे हैं, जिससे उनकी बुद्धि पर तरस ही आता है. कार्यक्रम में तिब्बती निर्वासित सरकार की पूर्व गृहमंत्री श्रीमती ग्यारी डोलमा और विश्व संवाद केंद्र समिति के अध्यक्ष प्रो. नरेंद्र शारदा उपस्थित रहे.

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