बाराकोट में तैयार पिरूल राखी की देहरादून में मांग, जानें इसकी खासियत; दिखने में भी है सुंदर

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चंपावत। पर्यावरण के लिए घातक पिरूल महिलाओं के लिए स्वरोजगार का माध्यम बन रहा। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पिरूल से आकर्षक राखी तैयार कर रही हैं। चंपावत जिले के बाराकोट ब्लाक के लड़ीधुरा स्वायत्त सहकारिता से जुड़ी महिलाओं की तैयार राखी की देहरादून और चमोली में मांग है। लड़ीधुरा स्वायत्त सहकारिता से जुड़े महिला समूह पिछले तीन साल से राखी तैयार कर रहे हैं। पारिवारिक जरूरतों के अलावा स्थानीय बाजार में राखी बेची जाती हैं।

सहकारिता की अध्यक्ष सुमन जोशी ने बताया कि पहली बार चीड़ के पेड़ से निकलने वाले पिरूल से राखी बनाई जा रही हैं। इसके लिए पहले महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (रीप) ने महिला समूहों के तैयार उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने की पहल की है।

पिरूल से बनी स्पेशल राखी की है मांग
पिरूल से तैयार राखी के सैंपल रीप के राज्य मुख्यालय देहरादून भेजे गए। जहां से इसे परियोजना संचालित चमोली व दूसरे जिलों में भेजा गया। देहरादून व चमोली से पिरूल निर्मित एक हजार राखी की मांग लड़ीधुरा स्वायत्त सहकारिता को मिली है। तीन समूहों की महिलाएं पिरूल से राखी बना रही हैं। जिन्हें 25 अगस्त तक देहरादून के लिए भेजा जाएगा।

डीएम की पहल पर कलेक्ट्रेट में लगा स्टॉल
रीप के सहयोग से चंपावत जिले में 34 समूह राखी तैयार कर रहे हैं। इससे 260 महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। डीएम नवनीत पांडे की पहल पर चंपावत कलेक्ट्रेट, रोडवेज स्टेशन, चंपावत व लोहाघाट डाकघर में राखी के स्टॉल लगाए गए हैं। देवीधुरा बग्वाल मेले में भी राखी बिकेगी।

जिलाधिकारी ने करी तारीफ
समूह की महिलाएं राखी का अच्छा काम कर रही हैं। पिरूल की राखी बनाना जिले में नया प्रयोग है। जनता से भी अपील है कि स्थानीय उत्पादों को अपनाकर महिलाओं के उत्साहवर्धन व आजीविका संवर्द्धन में सहयोग करें। -नवनीत पांडे, जिलाधिकारी चंपावत

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