बीते दिनों हुई भारी बारिश से चीन सीमा को जोड़ने वाला पैदल रास्ता ध्वस्त, आर्मी की सप्लाई बाधित

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मिलम दुंग के बीच सनगाड़ नामक स्थान पर पैदल मार्ग ध्वस्त होने से चीन सीमा पर सेना और आईटीबीपी को रसद की आपूर्ति बाधित हो गई है। जवानों के लिए अग्रिम चौकियों तक खाद्यान्न और अन्य जरूरी सामान नहीं पहुंच पा रहा है।

माइग्रेशन गांवों के लोगों को दिक्कत
बीते दिनों हुई भारी बारिश के बाद चीन सीमा को जोड़ने वाला मिलम दुंग पैदल मार्ग दुंग और सनगाड़ के बीच कई जगह ध्वस्त हो गया है। मिलम के निचले हिस्सों में भी कई स्थानों पर पैदल मार्ग ध्वस्त होने से सुरक्षा एजेंसियों और माइग्रेशन गांवों के लोगों को दिक्कत हो रही है।

जान जोखिम में डालकर आवाजाही
ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। आईटीबीपी और सेना को समान की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार कुंदन पांगती ने बताया कि रास्ता बंद होने की जानकारी एसडीएम भगत सिंह फोनिया को दे दी है। एसडीएम ने शीघ्र सीमा पर जाने वाले रास्तों को ठीक करने के निर्देश दिए हैं।

निर्माणाधीन बड़ाबेधारी-क्वारबन सड़क को पहुंचा नुकसान
बड़ाबे धारी बेलतड़ी से क्वारबन के लिए बन रही पीएमजीएसवाई की पांच किमी लंबी सड़क के कटान का कार्य पूरा हो चुका है। सड़क कटिंग पूरी होने के बाद क्षेत्रवासियों को जल्दी यातायात सुविधा मिलने की उम्मीद थी लेकिन बीते दिनों आई आपदा के कारण पूरी सड़क मलबे से पट गई है।

आपदा से लगभग 25 लाख रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। इस सड़क में अभी पुल का निर्माण भी किया जाना है। क्षेत्रवासियों ने विभाग से शीघ्र सड़क का मलबा हटाने और पुल का निर्माण कर यातायात सुचारु करने की मांग की है।

सीएम के पैतृक गांव टुंडी को सड़क और शिक्षकों का इंतजार
सीएम के पैतृक गांव टुंडी को आज भी सड़क और शिक्षकों का इंतजार है। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में सीएम से मुलाकात के दौरान उन्होंने सड़क और शिक्षक देने की बात कही थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण दो से ढाई किमी पैदल चलने को मजबूर हैं।

कनालीछीना विकासखंड बारमौ ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान पूरन सिंह बिष्ट का कहना है कि आजादी के इतने समय बाद भी टुंडी, मैपू और मुवाड़ी के लिए सड़क नहीं बन पाई है। सड़क निर्माण की मांग को लेकर 10 अगस्त को शिष्टमंडल ने सीएम से मुलाकात की थी तो सीएम ने सड़क निर्माण का आश्वासन दिया था। तीन माह बाद भी सड़क नहीं बन पाई है। सीएम के पैतृक गांव में शिक्षा व्यवस्था भी बदहाल है। वर्ष 2011 में राजकीय माध्यमिक विद्यालय का शुभारंभ हुआ। तब से यहां सिर्फ दो ही शिक्षक कार्यरत हैं। प्रधानाचार्य का पद भी खाली है।

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