भारी बर्फबारी के कारण रिलकोट में फंसे जवानों को वायुसेना के हेलीकॉप्टर से निकाला गया

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हिमपात के कारण रिलकोट में फंसे जवानों को वायुसेना के हेलीकॉप्‍टर से निकाला गया nainital newsपिथौरागढ़। भारी बर्फबारी से मिलम क्षेत्र की अग्रिम चैकी रिलकोट में फंसे आठ आईटीबीपी जवानों को मुनस्यारी लाने की कवायद शुरू हो चुकी है। वायुसेना के हेलीकॉप्टर पहले शिफ्ट में रिलकोट से चार जवानों को लिफ्ट कर मुनस्यारी लाए। शेष चार जवानों को लाने के लिए हेलीकॉप्टर ने दोबारा उड़ान भरी है। चैकी शिफ्ट होने के दौरान 12 और 13 दिसंबर को हुए भारी हिमपात से आठ आईटीबीपी जवान और सात पोर्टर्स रिलकोट में फंस गए थे। रिलकोट सहित मार्ग में छह से सात फीट बर्फ जमी थी। जवानों के साथ फंसे सात पोर्टर्स तीन दिन पूर्व बर्फ में चलकर मुनस्यारी पहुंच गए थे। लेकिन जवानों के पास हथियार और सामान होने के कारण उनका पैदल आना सम्भव नहीं था। आईटीबीपी ने गृह मंत्रालय से हेलीकॉप्टर की मांग की थी। इस बीच उच्च हिमालय में मौसम खराब रहने से जवानों को लाने का कार्य नहीं हो पा रहा था। सोमवार सुबह उच्च हिमालय में मौसम अनुकूल रहा। वायु सेना के हैलीकॉप्टर से जवानो को रिलकोट से मुनस्यारी लाया जा रहा है।

अपने रिस्क पर रिलकोट से पैदल चल दिए थे पोर्टर्स

बीते गुरुवार को सेनानी 14वीं वाहिनी आइटीबीपी जाजरदेवल अशोक कुमार ने बताया था कि कि गुरुवार को रिलकोट में फंसे सात पोर्टर्स अपने रिस्क पर रिलकोट से 24 किमी बर्फ पर चलकर शाम छह से सात बजे के बीच लीलम के निकट खोल्ता पहुंच गए थे। अगले दिन यानी शुक्रवार को सभी पोर्टर्स सुरक्षित मुनस्यारी पहुंच गए। उन्होंने बताया कि मार्ग पर कई फीट बर्फ है इसके बाद भी पोर्टर्स अपने रिस्क पर आए हैं।

हथियार और सामान होने के कारण पैदल नहीं आ सकते जवान

रिलकोट में फंसे जवानों के पास हथियार और सामान थे। इस कारण से जवान पैदल नहीं आ सकते थे। ऐसे में उन्होंने वहां से न निकलने का तय किया और वायुसेना के वाहन की प्रतीक्षा करते रहे। लेकिन मौसम अनुकूल न होने के कारण रेस्क्यू अभियान संभव न हो सका। नतीजा प्रतीक्षा लंबी होती गई। वहीं पोर्टर्स ने काफी दिनों की प्रतीक्षा के बाद भी जब देखा की मौसम साफ नहीं हो रहा है, ऐसे में हेलीकॉप्टर का यहां पहुंचना संभव नहीं है तो उन्होंने अपने ही रिस्क पर पैदल सफर करने की ठानी। पांच फीट से अधिक जमी बर्फ में पैदल 12 घंटे तक 24 किलोमीटर का सफर उन्होंने तय किया। वहीं उच्च हिमालयी इलाकों के पर्वतारोहण के एक्सपर्ट गंगा राम का कहना है कि इन रास्तों पर अप्रैल में ही ट्रैक कर पाना काफी कठिन है। बर्फवारी के समय रास्ता बनाना अपने में किसी खतरे से कम नहीं है।

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