देहरादून। आशीष बडोला। घर का भेदी लंका ढ़ाहे, त्रेतायुग से प्रसिद्ध ये कहावत उस समय की है। जब भगवान श्रीराम-रावण का वध करने के लिए सभी विकल्प अजमा रहे थे। मगर वरदानी लंकेश एक-एक कर अपने सिरों को जीवित कर देता। जब प्रभू श्रीराम सभी ताकतों को अजमा चुके थे, अंत में रावण ने अपने दस सिरों का विराट स्वरूप प्रभू को दिखा दिया।
उस वक्त जरूर भगवान राम भी समझ गए, सचमुच रावण को मारना इतना आसान नहीं है। रावण दहाड़ मारते हुए प्रभू को ललकारने लगा, तभी चुपचाप प्रभू के समीप खड़े विभीषण ने बताया कि रावण के प्राण उसकी नाभी में हैं, उन्होंने शीघ्र बाण पर गुरूशस्त्र की विद्या का मंत्र फूंका और रावण की नाभी का विच्छेद करते हुए उसे धराशायी कर दिया।
वहीं लोकसभा 2019 के लिए खुद को और मजबूत करती भाजपा को पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने उस वक्त कटघरे में ला खड़ा किया, जब उनका आर्थिक मंदी से जुड़ा लेख द इंडियन एक्सप्रेस में छपा। लेख में साफ तौर पर देश की आर्थिक मंदी का जिम्मेंदार वित्त मंत्री अरूण जेटली को ठहराया गया।
यहां तक की यशवंत सिन्हा ये भी कहने से नहीं चुके कि यदि उनकी बात किसी को गलत लगती है, तो ऐसे में देश के प्रति अपनी जागरूकता से वो पीछे नहीं हट सकते हैं। फिर क्या था, संताप में डूबें विपक्ष ने भी पुरजोर तरीके से आर्थिक मंदी को हथियार बना लिया। केंद्र सरकार पर विपक्ष ने ताबातोड़ राजनैतिक प्रहार कर डाले।
इससे कुछ दिन पहले ही लेखकों ने आर्थिक मंदी को लेकर अपने विचार प्रकट किए थे। वैसे भी सभी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार हैं, घर का भेदी लंका ढ़ाहे के नजरिये से यशवंत सिन्हा को जरूर देखा जा रहा है।
मगर उन्होंने अपना कर्तव्य निभाते हुए सरकार को आगाह भी किया है। इससे सरकार समय रहते ही देश को आर्थिक तौर पर मजबूत कर सकती है। वैसे भी नोटबंदी को हुए अभी पूरी तरह से सालभर भी नहीं हुआ है।
नोटीबंदी होते ही बुद्धीजीवि अर्थशास्त्रियों ने साफ कर दिया था, इससे देश को लाभ जरूर मिलेगा। उनहोंने ये साफ किया था कि नोटबंदी से उबरने में एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है।
ऐसे में यशवंत सिन्हा को लेख गलत ठहराना उचित नहीं होगा, उन्होंने वित्त मंत्री अरूण जेटली को समय से पहले ही कर्तव्य की याद जो दिला दी है। ये जरूर हो सकता है, विपक्ष इसके सहारे कुछ समय तक खुद को उत्साहित महसूस कर सकें।