अहमदाबाद में जमालपुर-खड़िया के विधायक भूषण अशोक भाई भट एक मामूली सी कुर्सी पर बैठे हैं और रोज़ की तरह आज सुबह भी अपने क्षेत्र के लोगों से मिल रहे हैं. उनका दफ्तर काफी छोटा है. इसलिए उनसे मिलने वाले लोगों की लाइन बाहर सड़क तक लगी है. भट सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं और वहां मौजूद अधिकतर फ़रियादी मुसलमान हैं.
अधिकतर विधायक और सांसद आम तौर से फ़रयादियों की ऐसी सभाएं रोज़ाना लगाते हैं. भूषण भट की सभा भी एक सामान्य बैठक है. फ़र्क़ केवल इतना है कि भट सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं और वहां मौजूद अधिकतर फ़रियादी मुसलमान. दाढ़ी वाले मर्द और काले बुर्क़े वाली महिलाएं एक बीजेपी विधायक से अपनी समस्याओं पर चर्चा करें, गुजरात से बाहर इसकी कल्पना आसान नहीं है.
लेकिन यहाँ ये नज़ारा रोज़ 9 बजे से 11 बजे सुबह तक देखा जा सकता है. लोगों का ध्यान भूषण भट की तरफ़ है जिसका एक तरह से वो आनंद भी लेते हैं.
लेकिन फ़रयादियों की शिकायतें ध्यान से सुनते भी हैं. इस सवाल पर वे कहते हैं, “ना मैं किसी का नाम पूछता हूँ, ना किसी का धर्म पूछता हूँ और ना किसी की जात पूछता हूँ. वो अपना काम लेकर आते हैं. मैं उनका काम जितना हो सके, करने की कोशिश करता हूँ.”
भट से मिलने आये लोगों में हिजाबी फ़हमीदा बानो और काले बुर्क़े में उनकी बेटी शाहीन हैं. खुद को तीन तलाक़ की शिकार कहने वाली फ़हमीदा बानो कहती हैं कि उनके पति ने तलाक़ के बाद उन्हें उनके घर से बाहर कर दिया था.
चेहरे से नक़ाब उठाकर उनकी बेटी शाहीन कहती हैं कि विधायक जी ने उनकी माँ को उनके घर वापस भेजने में मदद की. वे कहती हैं, “मेरी मम्मी का केस चल रहा था. मैं उनकी (भूषण भट की) हेल्प लेने आयी थी. हमारे घर में सील (ताला) लग गया था. इसका खुलना मुश्किल लग रहा था लेकिन उन्होंने हमारी बहुत मदद की. हमारा काम हो गया.”
माँ-बेटी की इस जोड़ी ने विधायक से निजी काम में मदद ली. लेकिन यहाँ आधार कार्ड बनवाने में मदद लेने आये लोग भी थे, पुलिस के खिलाफ शिकायत करने वाले लोग भी और कुछ ऐसे जो काम होने पर विधायक का शुक्रिया अदा करने आये थे. भूषण भट कहते हैं, “उनको (मुसलमानों को) कोई बड़ा काम नहीं होता है. अस्पताल का काम होता है, पानी का काम होता है, बिजली नहीं होती है, अच्छे स्कूल में प्रवेश के लिए आते हैं. आपस में झगड़ा हुआ तो आते हैं. पुलिस के खिलाफ शिकायत लेकर आते हैं. मैं उनकी इन समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करता हूँ.” (साभार बीबीसी हिंदी)