भारत को अब आंख नहीं दिखा सकेगा चीन, उत्तराखंड में बॉर्डर को जोड़ने वाले मिले दो पुल

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को तवाघाट-घटियाबगड़ और जौलजीबी-मुनस्यारी-मिलम सड़क पर निर्मित दो पुलों का वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए शुभारंभ कर इन्हें देश को समर्पित किया। उन्होंने बताया कि इन पुलों के निर्माण से चीन सीमा तक सेना की आवाजाही आसान होगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी वर्चुअली प्रतिभाग किया।

मंगलवार को रक्षामंत्री सिंह ने दिल्ली से वीडियो कॉंफेंसिंग के जरिये चीन सीमा को जोड़ने वाली जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क में गोरी गाड़ पर 535.43 लाख से बने सीमा सड़क संगठन के 55 मीटर लंबे पुल का शुभारंभ किया। इसके बाद उन्होंने तवाघाट-घटियाबगड़ के समीप गस्कू में 551.13 लाख से बने 45 मीटर लंबे पुल को राष्ट्र को समर्पित किया।

इस दौरान उन्होंने कहा इन पुलों के निर्माण से सीमांत के लोगों की आवाजाही आसान होगी। साथ ही देश की चीन सीमा तक पकड़ मजबूत होगी। कहा बीआरओ ने दुर्गम हिमालयी क्षेत्रों में कड़ी मेहनत कर इन पुलों के निर्माण का सराहनीय कार्य किया है। शुभारंभ कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी भी हल्द्वानी से वर्चुअली जुड़े।

उन्होंने कहा बीआरओ की निर्मित सङकें और पुल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्म निर्भर भारत के विजन को पूरा कर रहे हैं। कहा सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को इसका लाभ मिलेगा। कर्नल एके शर्मा ने कहा दोनों पुल बनने से इस मार्ग में आवाजाही तो सामान्य हुई है साथ ही इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

सीमावर्ती क्षेत्र के लोग दिल के साथ ही अब दिल्ली के भी पास
रक्षा मंत्री ने बधाई देते हुए कहा कि बीआरओ की सड़कें, टनल और पुलों ने आज स्थानों के बीच की दूरी और समय बहुत कम कर दिया है। सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़े लोग दिल के पास तो हैं ही, अब दिल्ली के पास भी हैं। कहा केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखा है। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर और उसके माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन आदि के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।

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