सीएम की कुर्सी से एक करम दूर येदियुरप्पा, मोदी-शाह से मुलाकात के बाद संभालेंगे कमान

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दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को एचडी कुमारस्वामी के विश्वास मत हारने के बाद बीएस येदियुरप्पा चैथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के करीब आ गए हैं। तेजी से बदल रहे राजनीतिक समीकरणों को देखें तो येदियुरप्पा अब सीएम की कुर्सी से मात्र एक कदम दूर हैं। जैसे ही उनकी मोदी-शाह से मुलाकात होगी, एक कदम की दूरी भी खत्म हो जाएगी।

कर्नाटक में आरएसएस और भाजपा विधायकों के साथ बैठक कर वे दोपहर बाद सीधे दिल्ली आएंगे। उधर, कांग्रेस नेता बीके हरि प्रसाद का आरोप कि मई 2018 से लेकर जुलाई 2019 के बीच बीएस येदियुरप्पा ने एचडी कुमारस्वामी सरकार गिराने की पांच बार कोशिश की, लेकिन अब छठे प्रयास में वे सफल हो गए।

कुमारस्वामी सरकार की हार का मतलब लोकतंत्र की जीत है – येदियुरप्पा
हालांकि इस सारे घटनाक्रम पर खुद भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा कह रहे हैं कि कुमारस्वामी सरकार की हार का मतलब लोकतंत्र की जीत है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता एचडी कुमारस्वामी सरकार से परेशान हो चुकी थी। उनके राजनीतिक ड्रामे से विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया था। बतौर येदियुरप्पा, मैं प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अब विकास के एक नए युग की शुरुआत होगी। आने वाले दिनों में किसानों की समस्याओं को हल करने पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। भाजपा नेताओं का कहना है कि मुंबई में ठहरे कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायक अभी कर्नाटक के लिए रवाना नहीं हुए हैं।

येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का औपचारिक ऐलान होने के बाद सभी विधायक कर्नाटक आएंगे। बुधवार शाम को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद येदियुरप्पा पीएम नरेंद्र मोदी से भी मिल सकते हैं। हालांकि अभी इस बारे में स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है। माना जा रहा है कि येदियुरप्पा और अमित शाह के बीच होने वाली बैठक में बागी विधायकों के मसले पर चर्चा होगी। उनके भाजपा में शामिल होने का क्या फार्मूला बनेगा और किस विधायक को सरकार में कहां व कैसी जगह दी जाएगी, आदि बातों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

चूंकि कर्नाटक में लंबे समय से एचडी कुमारस्वामी की सरकार पर संकट चल रहा था, इसलिए वहां विकास कार्य भी प्रभावित हुए हैं। नई सरकार के गठन के बाद विकास का प्रारुप क्या होगा और कौन से नेताओं को क्या जिम्मेदारी दी जाए, आदि बातों पर भी चर्चा होगी। हालांकि येदियुरप्पा इस सारे घटनाक्रम को लोकतंत्र की जीत बता रहे हैं, लेकिन पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस अभी इसे जश्न के तौर पर नहीं ले रहा है।

विकास के साथ साथ भाजपा के लिए लोगों को यह विश्वास दिलाना भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा कि कर्नाटक के इस सारे घटनाक्रम के लिए भाजपा जिम्मेदार नहीं है। भाजपा नेता जगदीश शेट्टार ने कहा, अभी बागी विधायकों के इस्तीफे स्पीकर ने स्वीकार नहीं किए हैं। उन्हें तय करना है कि वे भाजपा में शामिल होंगे, या नहीं। मौजूदा परिस्थिति में हमारे पास 105 विधायक हैं, बहुमत हमारा है। हम स्थिर सरकार बनाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

हर झूठ आखिरकार बेनकाब होता है
कांग्रेस की पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह संवैधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र को व्यवस्थित ढंग से कमजोर कर रही है। उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, एक दिन भाजपा को यह पता चलेगा कि सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता, हर किसी के पीछे नहीं पड़ा जा सकता और हर झूठ आखिरकार बेनकाब होता है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘अपने पहले दिन से ही कांग्रेस-जेडीएस सरकार भीतर और बाहर के उन निहित स्वार्थ वाले लोगों के निशाने पर आ गई थी, जिन्होंने इस गठबंधन को सत्ता के अपने रास्ते के लिए खतरा और रुकावट के तौर पर देखा।

उनके लालच की आज जीत हो गई। लोकतंत्र, ईमानदारी और कर्नाटक की जनता हार गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने भाजपा पर विधायकों का होल-सेल का व्यापार करने और रिश्वत देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, भाजपा शुरू से ही सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को अस्थिर करने का प्रयास कर रही थी। विधायकों को खरीदने के लिए भाजपा 25 करोड़, 30 करोड़, 50 करोड़ तक पहुंच गई। कोई बताए, ये पैसे कहां से आ रहे हैं।

बागियों को अयोग्य कर दिया जाएगा। उनकी राजनीतिक समाधि बनेगी। दूसरी ओर, सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले बागी विधायकों पर अयोग्य ठहराए जाने की तलवार लटक रही है। व्हिप के बावजूद वोट न करने वाले बीएसपी विधायक महेश पार्टी से निलंबित हो चुके हैं। कांग्रेस-जेडीएस के 15 बागी विधायकों ने स्पीकर से जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का वक्त मांगा है।

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