तीन तलाक पीड़ित अतिया साबरी ने कहा-तीन साल की सजा कम है सात साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान होना जरूरी है।

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अतिया साबरी इसके विरुद्ध प्रस्तावित कानून के मसौदे से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि तीन तलाक देने पर तीन साल के बजाय सात साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान होना जरूरी है। ऐसा न होने पर लोगों में कानून का खौफ नहीं रहेगा। 

नई दिल्ली (एजेंसीज) : तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाली अतिया साबरी इसके विरुद्ध प्रस्तावित कानून के मसौदे से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि तीन तलाक देने पर तीन साल के बजाय सात साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान होना, जरूरी है। ऐसा न होने पर लोगों में कानून का खौफ नहीं रहेगा।

सुल्तानपुर निवासी मजहर हसन की बेटी अतिया साबरी उन चंद महिलाओं में से एक है, जो पति द्वारा दिए गए तीन तलाक के खिलाफ अपनी लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर गई और आखिरकार निर्णय भी उनके हक में आया। अब उच्चतम न्यायालय के आदेश पर केंद्र सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित कानून का जो मसौदा तैयार कर राज्यों को भिजवाया है, अतिया उससे संतुष्ट नहीं है।

उनका कहना है कि मसौदे में तीन तलाक देने वालों के विरुद्ध तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। लेकिन सात साल से कम सजा वाले मामलों में आरोपी को गिरफ्तार न करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पहले से ही हैं। ऐसे में गिरफ्तारी न होने से लोगों को तीन तलाक देने से रोक पाना बहुत मुश्किल होगा। अतिया ने कहा कि जिसकी वजह से किसी महिला का पूरा जीवन प्रभावित होता हो, उसके लिए तीन साल की सजा बहुत कम है।

अतिया ने कहा कि प्रस्तावित कानून में या तो तीन तलाक देने वाले के लिए सात साल की सजा का प्रावधान किया जलाना चाहिए। अगर सजा तीन साल ही रखी जाए तो फिर इसमें मुकदमा दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर आरोपी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने और ट्रायल के दौरान उसे कोर्ट से जमानत देकर न छोड़े जाने की व्यवस्था की जानी जरुरी है। अतिया ने बताया कि मसौदे में संशोधन के लिए उन्होंने देश के प्रधानमंत्री और कानून मंत्री को सुझाव भी डाक से भेजा है।

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