जैनियों ने पर्युषण के दसवें दिन सीखा ब्रहा्रचर्य धर्म

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देहरादून। संवाददाता। पर्युषण पर्व के दसवें दिन उत्तम ब्रहा्रचर्य धर्म के रूप में मनाया गया। जैन धर्मशाला में चल रहे पर्युषण पर्व के दसवें दिन भक्तों ने उत्तम ब्रहा्रमचर्य ज्ञान का बोध किया।
सोमवार को प्रवचन देते हुए अनुज सागर महाराज ने कहा कि ग्रहस्थ धर्म में रहकर भी ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया जाना चाहिए। महीने में पांच से दस दिन तक यह व्रत रखकर अपनी आत्मा का कल्याण किया जा सकता है।

मन को नियंत्रण में रखना जरूरी है। ब्रह्मचर्य व्रत पूरा करने के बाद ही दसलक्षण धर्म के सभी व्रत सफल होंगे। ब्रह्ा्रचर्य व्रत गुण की वृद्धि करता है। इस नियम का पालन करने से उदारता, शूरवीरता, धीरता और सुंदरता की प्राप्ति होती है।

देर शाम को दिगम्बर जैन महासमिति महिला संभाग की ओर से रंगारंग धार्मिक अंताक्षरी का आयोजन किया गया। जिसमें पूरा माहौल भक्तिमय बना।
विभिन्न ग्रुपों में आयोजित इस कार्यक्रम में भक्तों ने बढ़चढ कर भाग लिया। इस दौरान कल्पना जैन, मंजू जैन, बीना जैन, संजय जैन, मंजू जैन, रेणु, ऋतु, राकेश जैन, संजीव जैन आदि मौजूद रहे।

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