मेरे दोनों हाथ नहीं है, मेरा आधार कौन बनाएगा, मुझे दिव्यांग हक कौन दिलाएगा

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टिहरी। संवाददाता। प्रकृति ने तो उसे कमजोर कर ही दिया था, मगर दिव्यांग उपेंद्र पर सिस्टम की अनदेखी भी भारी पड़ रही है है। उपेंद्र आधार कार्ड बनवाने को जगह-जगह भटक रहा है, लेकिन उसका आधार नहीं बन पाया। अब शायद वो भीतर से यही कहता होगा। मेरे दोनों हाथ नहीं है मेरा आधार कौन बनाएगा।
वर्ष 2006 में करंट की चपेट में आकर उपेंद्र के दोनों हाथ झुलस गए थे, नतीजा उन्हें अपना हाथ काटना पड़ा। हाथ न होने पर उसे आधार शिविरों से बैरंग लौटा दिया जाता है। इसी कारण उसे पिछले आठ महीने से विकलांग पेंशन भी नहीं मिल पाई। क्योंकि, पेंशन का आधार लिंक होना जरूरी है, जो कि उपेंद्र का आज तक बन नहीं पाया है।

मूलरूप से थौलधार प्रखंड के ग्राम उप्पू सिराईं निवासी उपेंद्र नेगी लंबे अर्से से ढालवाला (ऋषिकेश) में रहता है। यहां उसका अपना मकान है। वर्ष 2006 में मकान के पास से गुजर रही बिजली की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर वह बुरी तरह जुलूस गया था।

जिस कारण बाद में उसके दोनों हाथ काटने पड़े। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान उपेंद्र के पिता गोविंद सिंह की भी मौत हो गई, जिस कारण परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसकी मां पर आ गई। उपेंद्र का एक भाई और दो बहने हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है, जबकि बड़े भाई विपेंद्र ने पॉलीटेक्निक किया हुआ है। ऐसे में मां को मिलने वाली पेंशन से ही परिवार का गुजारा होता है।

 

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