अश्वमेघ महायज्ञ के लिए शाक्तिकलश का वैदिक कर्मकांड के साथ हुआ पूजन

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देहरादून। संवाददाता। शांतिकुंज अधिष्ठात्री शैलदीदी ने हैदराबाद में होने वाले अश्वमेध गायत्री महायज्ञ के लिए शक्तिकलश का वैदिक कर्मकाण्ड के साथ पूजन किया। शांतिकुंज द्वारा संचालित होने वाले अश्वमेध महायज्ञ की शृंखला का 46वाँ आयोजन हैदराबाद में 2 से 5 जनवरी 2020 में होना है। यह महायज्ञ दक्षिण भारत के राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल व पाण्डिचेरी में आर्थिक, सांस्कृतिक व सुसंस्कारों की दृष्टि से सबल एवं समर्थ बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

पूजन के अवसर पर संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने आशा व्यक्त की कि महायज्ञ से लोगों में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ेगी। समाज विकास के पथ पर अग्रसर होगा। परिवार में संस्कारवान आत्माएँ आयेंगी। उन्होंने कहा कि इन दिनों सारे देश में गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ-उपासना अभियान प्रारंभ किया गया है। उपासना के तत्काल प्रभाव से साधकों को गायत्री माता के अनुदान-वरदान मिलते हैं। युवाओं के मन में भटकन कम होती हैं। उनमें सार्थक बदलाव आता है। मन एकाग्र होता है, जो मनोवांछित सफलता पाने के लिए आवश्यक है। वहीं शक्तिकलश पूजन का वैदिक कर्मकाण्ड शिवप्रसाद मिश्र व उदय किशोर मिश्र ने सम्पन्न कराया।

इससे पूर्व महायज्ञ से जुड़े लोगों का मार्गदर्शन करते हुए गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि अश्वमेध महायज्ञ के माध्यम से तेलंगाना सहित दक्षिण भारत के युवाओं में एक नई चेतना का जागरण होगा, जिससे युवा वर्ग को भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़े रहने के लिए मार्गदर्शन व संबल मिलेगा। डॉ. पण्ड्या ने यज्ञीय आयोजन से पूर्व निकटवर्ती क्षेत्रों में जनजागरण करने के लिए जुट जाने का आवाहन किया। तो वहीं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने अश्वमेध महायज्ञ से जुड़े विभिन्न कार्यों की रूपरेखा पर विस्तृत जानकारी दी।

वहीं तेलगांना व आंध्रप्रदेश से आये पाँच सौ से अधिक लोगों ने शक्तिकलश पूजन के बाद एक रैली निकाली, जो आश्रम परिसर में भ्रमण करती हुई युगऋषि पूज्य आचार्यश्री व वन्दनीया माताजी के पावन समाधि के पास पहुँची, जहाँ रैली एक सभा में परिवर्तित हो गयी। सभा को संबोधित करते हुए शांतिकुंज स्थित दक्षिण भारत प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ. बृजमोहन गौड़ ने कहा कि आज समाज की सांस्कृतिक परिस्थिति पहले जैसी नहीं रही। लोगों के विचारों में भ्रष्टाचार, अन्याय करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ऐसी विकट परिस्थिति में विचारों का विचारों से काटने के उद्देश्य सद्विचारों के विस्तार करना आवश्यक हो गया है। अखिल विश्व गायत्री परिवार इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अश्वमेध गायत्री महायज्ञ की शृंखलाबद्ध आयोजन प्रारंभ किया है।

यहाँ बताते चलें कि इस महायज्ञ की तैयारी के लिए आंध्रप्रदेश व तेलंगाना से सात सौ से अधिक परिजन शांतिकुंज आये हैं। यहाँ उन्होंने महायज्ञ की तैयारियों से लेकर समापन तक कार्यक्रमों पर विस्तार गहन मंथन किया। इस अवसर पर दक्षिण भारत प्रकोष्ठ शांतिकुंज के समन्वयक डॉ. बृजमोहन गौड़, दक्षिण भारत में गायत्री परिवार संयोजक अश्विनी सुब्बाराव, उमेश शर्मा, चटला उपेन्द्र, गोकुल उपाध्याय, श्रीमती श्रीवानी, आदि सहित तेलंगाना राज्य के हैदराबाद, सिकन्द्राबाद, कामारेड्डी, करीमनगर, जगत्याल, वारंगल तथा आंध्रप्रदेश प्रांत के विजयनगरम्, विशाखापट्टनम्, पूर्वी गोदावरी, प्रकशम् एवं रायलसीमा के कर्नूल, अनंतपुर आदि जिलों से पहुंचे परिजन उपस्थित रहे। वहीं श्रीमती प्रशान्ति शर्मा ने हिन्दी से तेलुगू में भाषान्तर किया।

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