टिहरी दुष्कर्म प्रकरण; पुलिस की वजह से पीड़ित बच्ची की हालत हुई नाजुक

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देहरादून। टिहरी पुलिस की लापरवाही नैनबाग क्षेत्र की दुष्कर्म पीड़ित बच्ची पर भारी पड़ गई।
पुलिस ने मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज कराने के लिए शुक्रवार को उसे अस्पताल से जल्दबाजी में डिस्चार्ज कराया था, लेकिन घर पहुंचते ही उसकी हालत फिर बिगड़ गई। ऐसे में पहले तो बच्ची को मसूरी अस्पताल लाया गया और फिर उसे दून महिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

यहां बच्ची को चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है। उधर, अस्पताल में जुटे क्षेत्र के लोगों ने पुलिस और अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।

नौ साल की बच्ची से एक दुकानदार ने दुष्कर्म किया था
बीते गुरुवार को नैनबाग क्षेत्र में नौ साल की बच्ची से एक दुकानदार ने दुष्कर्म किया था। गंभीर हालत में बच्ची को परिजन दून महिला अस्पताल लेकर आए थे। लेकिन, चंद घंटों बाद ही शुक्रवार को पुलिस ने मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज कराने के लिए उसे डिस्चार्ज करा लिया था।

बच्ची के बयान शनिवार को दर्ज होने थे, लेकिन इस बीच उसकी तबीयत और बिगड़ गई। ऐसे में परिजन उसे रविवार को मसूरी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन यहां भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। लिहाजा वहां से उसे दून महिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया।

चिकित्सकों का कहना है कि उसे डिहाईड्रेशन हुआ है
बच्ची के दून पहुंचते ही क्षेत्र के काफी लोग भी अस्पताल के बाहर जमा हो गए। लोगों का आरोप है कि पूरे मामले में पुलिस और अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही की है। बच्ची की हालत खराब थी तो पुलिस को उसे डिस्चार्ज नहीं कराना चाहिए था।

उनका कहना था कि जब बच्ची की हालत नाजुक थी तो अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे छुट्टी क्यों दी। पुलिस और अस्पताल की लापरवाही के चलते आज बच्ची जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। इधर, अस्पताल में हंगामे की सूचना मिलते ही एसपी सिटी देहरादून श्वेता चैबे मय फोर्स वहां पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची से बात हुई है। चिकित्सकों का कहना है कि उसे डिहाईड्रेशन हुआ है।

फिलहाल उसे चिकित्सकों की देखरेख में ही रखा गया है। इधर, इस मामले में एसएसपी टिहरी से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कई बार प्रयास के बाद भी फोन नहीं उठाया। जबकि, सीओ नरेंद्र नगर का फोन लगातार आउट ऑफ रीच आता रहा।

नाजुक हालत में किया बच्ची ने लंबा सफर
शुक्रवार को पुलिस बच्ची को डिस्चार्ज कराने के बाद उसे गांव ले गई। करीब 150 किलोमीटर का सफर उसने एक प्राइवेट वाहन में किया। इसके बाद रविवार को जब हालत खराब हुई तो उसे मसूरी लाया गया। इसके बाद जब हालत बिगड़ी तो फिर प्राइवेट वाहन में ही उसे देहरादून लाया गया।

मामले में यदि पुलिस की लापरवाही की बात है तो इसकी जांच कराई जाएगी। जांच के बाद यदि लापरवाही सिद्ध होती है तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-अशोक कुमार, डीजी क्राइम

मासूम को लेबर रूम में रखने पर कड़ी नाराजगी
टिहरी के नैनबाग इलाके में नौ साल की मासूम के साथ दुष्कर्म मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा मासूम को लेबर रूम में रखने पर कड़ी नाराजगी जताई है।

उन्होंने प्रकरण में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखने की बात कही है। इसके अलावा प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए जिलाधिकारी टिहरी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की जाएगी।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी रविवार को दून अस्पताल पहुंची थीं। अस्पताल में मासूम को लेबर रूम में रखने पर कड़ी नाराजगी जताई और वार्ड में शिफ्ट कराया। उन्होंने अपनी मौजूदगी में मासूम की कई जांचें भी करवाईं।

पुलिस की भूमिका की जांच कराने की बात कही
इस दौरान पीड़िता के परिजनों ने आयोग अध्यक्ष को बताया कि उनकी मर्जी के बिना पुलिस मासूम को अदालत में 164 के बयान दर्ज कराने की बात कहकर साथ ले गई। पुलिस एक ही वाहन में मासूम और उसके परिजनों के साथ आरोपी को भी बिठाकर ले गई। ऐसे में आरोपी को देखकर मासूम डर गई और उसने 164 का बयान दर्ज कराने से इनकार कर दिया। इसके अलावा पुलिसकर्मी सादे कपड़ों की बजाय वर्दी में थे।

आयोग अध्यक्ष ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए पुलिस की भूमिका की जांच कराने की बात कही है। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि इस संबंध में पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा जाएगा। प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए जिलाधिकारी टिहरी की अध्यक्षता में समिति गठित कर जांच करायी जाएगी। इसके अलावा आयोग अध्यक्ष ने दून महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी को मासूम के इलाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए।

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